लखनऊःझारखंड के जामताड़ा में बैठे साइबर अपराधी यूपी समेत देश के 15 राज्यों के लोगों को ठग रहे हैं. इन साइबर अपराधियों का नेटवर्क पूरे देश में फैला है. इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए यूपी पुलिस की साइबर क्राइम टीम उस रूट तक पहुंचना चाहती हैं, जहां से ये संचालित होते हैं. यूपी टीम झारखंड से संचालित गैंग के सदस्यों को चिन्हित कर कार्रवाई करने का मन बना चुकी है. साइबर पुलिस टीम जामताड़ा पहुंचकर उनके ठिकाने खंगाल रही है.
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एडीजी साइबर क्राइम राम कुमार के अनुसार, इन अपराधियों से निपटने व उनकी गिरफ्तारी के लिए देशव्यापी व्यवस्था की गई है. देश में साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए चार राज्यों का समूह मिलकर काम कर रहा है. राज्यों को किस रीजन में रखा जाए, इसके लिए पूर्व में हुए अपराधों का अध्ययन किया गया.
उत्तर प्रदेश को मेवात रीजन में रखा गया है. उत्तर प्रदेश को मेवात रीजन में शामिल करने का उद्देश्य यह है कि मेवात से ऑनलाइन ठगी के मामले बड़ी संख्या में आने और उनके निशाने पर समीपस्थ राज्य होने से उन राज्यों को एक समूह में रखा गया है. अन्य राज्यों के रीजन का निर्धारण भी इसी आधार पर किया गया है. इसी प्रकार मध्य प्रदेश को अहमदाबाद रीजन में शामिल करने का उद्देश्य यह है कि गुजरात में शेयर बाजार में निवेश का झांसा देने वाले अपराधियों की भरमार है.
गुजरात के विभिन्न शहरों से फोन के माध्यम से लालच दिया जाता है कि शेयर बाजार में निश्चित शुल्क देकर भारी मुनाफा करवाया जाएगा. इन लोगों का मुख्य निशाना मध्य प्रदेश के बड़े शहर रहते हैं. इसी प्रकार दो अन्य जोन में भी राज्यों के चिन्हित करने का काम चल रहा है. इस व्यवस्था से सभी जोन में हुए साइबर अपराधों की पड़ताल करने में आसानी होगी. एडीजी का कहना है कि साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए राज्यों का रीजन बनाया गया है. सूचनाओं के आदान-प्रदान के साथ इस व्यवस्था पर काम शुरू हो गया है.
यूएस भी हैरान जामताड़ा अपराधियों पर करेगा रिसर्च !
एडीजे राम कुमार बताते हैं कि झारखंड के जामताड़ा में पहले यात्रियों को नशीले पदार्थ खिलाकर लूटने की वारदातें होती थीं. पिछले कुछ साल से यहां अपराध के तरीके बिल्कुल बदल गए हैं. अब यहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने लगा है. कम पढ़े-लिखे या अनपढ़ अपराधी साइबर ठगी के जरिए देश के बड़े शहरों में बैठे पढ़े-लिखे लोगों को झांसे में लेकर चूना लगा देते हैं. इन अपराधों के लिए टेक्नोलॉजी और टूल्स का सहारा लिया जाता है. ऐसे अपराधों के लिए नारायणपुर और कर्मातार नाम के क्षेत्र खासतौर पर बदनाम हैं. कर्मातार में कुछ साल पहले तक झोपड़ियां ही होती थीं, लेकिन अब यहां आलीशान बंगले नजर आते हैं. यह आय के ज्ञात स्रोत से अतिरिक्त करोड़ों की संपत्ति जुटाने के लिए ईडी के रडार पर हैं.
उन्होंने बताया कि हाल में दिल्ली में राज्यों के डीजीपी रैंक के अधिकारियों की बैठक हुई. इसी बैठक में यह बात सामने आई कि अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश अमेरिका भी जामताड़ा अपराधियों पर रिसर्च करना चाहता है. वह यह जानना चाहता है कि कैसे कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद ये युवा अपराधी आईटी (इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) में महारथ हासिल कर लेते हैं. यहां तक कि आईटी में दक्ष लोग भी इनके बिछाए जाल में फंस जाते हैं.
यूपी पुलिस ने अभी तक पकड़े 60 साइबर अपराधी
झारखंड के जामताड़ा से यूपी, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब और यहां तक कि अंडमान-निकोबार में भी बैठे लोगों को साइबर ठगी का शिकार बनाया जा चुका है. पुलिस रिपोर्ट बताती है कि 2013 में साइबर अपराधों की शुरुआत हुई. विभिन्न राज्यों की पुलिस की ओर से जामताड़ा में 110 से ज्यादा अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. अगस्त 2021 में लखनऊ साइबर क्राइम टीम ने झारखंड के जामताड़ा इलाके से 5 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
एडीजी साइबर क्राइम की मानें तो लखनऊ से गई साइबर टीम ने जामताड़ा के करमातर पुलिस से संपर्क किया तो पता चला कि अप्रैल 2015 से मार्च 2017 के बीच 12 अलग-अलग राज्यों की पुलिस टीमों ने 23 बार और जनवरी 2018 से 2021 के बीच 15 राज्यों की पुलिस टीमों ने 48 बार इस जिले का दौरा किया है. वहीं, जामताड़ा जिला पुलिस द्वारा जुलाई 2014 से जुलाई 2017 के बीच क्षेत्र के 330 निवासियों के खिलाफ 80 से अधिक साइबर फ्रॉड के मामले दर्ज किए गए है. अकेले करमातर पुलिस स्टेशन में, 2017 में ठगी के मामलों में 100 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई थीं. यूपी साइबर सेल की मानें तो वर्ष 2018 से 2020 तक जामताड़ा के अपराधियों की गिरफ्तारियों की संख्या 200 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. एडीजी का कहना है कि सिर्फ यूपी पुलिस ने जामताड़ा के 50-60 क्रिमिनल्स पकड़े हैं.
जामताड़ा का नक्सलियों का कनेक्शन
पहले नक्सली अफीम की कमाई में व्यस्त रहे, लेकिन अब हालात बदल गए हैं और इसी को भांप कर ही नक्सली अपने युवा विंग को साइबर अपराध की दुनिया के गुर सीखने को लेकर साइबर अपराध की पाठशाला कहे जाने वाले जामताड़ा भेज रहे हैं. साइबर टीम की मानें तो जामताड़ा के साइबर क्रिमिनल्स का नक्सलियों से गहरा संबंध है. दरअसल, साइबर क्रिमिनल नक्सलियों के इलाके से ही यूपी समेत 15 राज्यों के लोगों को फोन कर ठगते हैं। नक्सली उन्हें पनाह देते हैं. पनाह देने के लिए वह साइबर ठगों से रकम भी वसूलते हैं. पिछले दिनों इस मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब यूपी पुलिस ठगी की सूचना पर जामताड़ा गई. इसमें साइबर सेल के द्वारा किये गये इन्वेस्टिगेशन में ठगी में इस्तेमाल सिम का लोकेशन गिरिडीह जिले के नक्सल प्रभावित इलाके में मिला. हालांकि, इस विषय पर पुलिस कुछ भी खुलकर बोलने से बच रही है.
तीन महीने की ट्रेनिंग में तैयार किए जाते हैं ठग
एडीजी के मुताबिक, झारखंड में जगह-जगह ऐसी गोपनीय कोचिंग खुली हैं, जो जालसाजी के तरीके सिखाती है. पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि कोचिंग संचालक ढाई लाख रुपये लेकर तीन माह की ट्रैनिंग देता है. ट्रेनिंग के बाद जालसाज ऑनलाइन ठगी करना शुरू कर देते थे. इलाके में तमाम ऐसी कोचिंग में संचालित की जा रही हैं. सस्ते दर पर भी ट्रेनिंग देने की भी कई कोचिंगों में व्यवस्था है.
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"जामताड़ा" वेब सीरीज भी बनी
"जामताड़ा" अपराधियों पर वेब सीरीज भी बनी है. वेब सीरीज "जामताड़ा" में दिखाया गया है कि जामताड़ा का एक नाबालिग भी अच्छे-खासे पढ़े लिखे लोगों को अपने ठगी का शिकार बना लेते हैं और उन्हें कानों कान खबर तक नहीं होती है. इस वेब सीरीज में ये डॉयलॉग है कि, 'तुम इतने पैसे कमाकर क्या करोगे' जवाब- जामताड़ा का सबसे अमीर आदमी बनेंगे... वेब सीरीज की टैग लाइन है 'सबका नंबर आएगा'. अब आप सोच रहे होंगे कि किस बात का नंबर आएगा? वो नंबर आएगा ठगी का जब कोई आपसे एटीएम बंद होने तो कोई लॉटरी के नाम पर साइबर फ्रॉड करके आपके बैंक खाते से पैसे निकाल लेगा.