रांची:लॉकडाउन में बेरोजगार हुए युवक जो ऑनलाइन वर्क फ्रॉम होम की नौकरी खोज रहे हैं वैसे लोग साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं. ठगी का यह खेल बिल्कुल नया है. वर्क फ्रॉम होम के नाम पर बेरोजगारों की बची हुई थोड़ी बहुत कमाई पर भी साइबर अपराधी डाका डाल रहे है. स्मार्ट तरीके से बात करने वाली युवती, फर्जी पुलिस और वकील मिलकर ये पूरा खेल खेलते हैं. नौकरी नहीं होने के कारण लोग जल्दी ही इस जाल में फंस जाते हैं.
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फर्जी कंपनी, फर्जी एग्रीमेंट...सब कुछ फर्जी
साइबर अपराधी फर्जी कंपनी के नाम पर लोगों से संपर्क करते हैं. फर्जी तरीके से एग्रीमेंट भी कराया जाता है. इसमें पूरे खेल में सभी लोग फर्जी होते हैं. बेरोजगार युवकों को बेवकूफ बनाकर साइबर अपराधी ये पूरा खेल खेलते हैं. फर्जी एग्रीमेंट को सही साबित करने के लिए साइबर अपराधी वकील और पुलिस अधिकारी की फेक आईडी बनाकर उसका इस्तेमाल करते हैं. उसी नंबर से फोन कर युवकों को धमकी दिलवाते हैं.
वर्क फ्रॉम होम के नाम पर ठगी का खेल
जब कोई गूगल के जरिए वर्क फ्रॉम होम के लिए ऑप्शन खोजता है उस पर साइबर अपराधी नजर रखते हैं. कई वेबसाइट में लोगों से नंबर भी मांगे जाते हैं. उन्हीं नंबरों को इकट्ठा कर साइबर अपराधी अपना खेल शुरू करते हैं. जैसे ही साइबर अपराधियों के पास नंबर सेव होता है, एक युवती फोन करती है. फोन करने वाली बताती है कि आप घर बैठे लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करते हुए केवल एक हफ्ते में ही 30 हजार रुपये तक कमा सकते हैं. इसके लिए आपको केवल बायोडाटा ऑनलाइन भरना होगा.
बातों की जाल में फंसा लेती है युवती
कॉल करने वाली युवती बेहद शालीनता के साथ डाटा एंट्री का काम बताती है. उस समय लोगों को लगता है कि यह बेहद आसान काम है. फोन करने वाली युवती बेरोजगार युवक को अपने प्रभाव में लेने के बाद उसे यह बताती है कि इस जॉब के लिए उन्हें न तो एक रुपया खर्च करना है और न कहीं जाने की जरूरत है. केवल एक ईमेल आइडी और एक पहचान पत्र उपलब्ध कराते ही जॉब के लिए रजिस्ट्रेशन हो जाएगा.
ऐसे पहचानें फर्जी कंपनियों को. रजिस्ट्रेशन के बाद आपको एक वेबसाइट का एड्रेस, यूजर आईडी और पासवर्ड दे दिया जाएगा. जिसके बाद आपकी नौकरी ऑनलाइन शुरू हो जाएगी. इतने आसान तरीके से नौकरी मिलने की बात सुनते ही बेरोजगार तुरंत हामी भर देते हैं और साइबर अपराधी की हर बात मानते हैं. इसके लिए बकायदा वे एग्रीमेंट भी साइन कर देते हैं. एग्रीमेंट में यह शर्त होती है कि अगर तय समय के अंदर आपने काम छोड़ा तो आपको एक रकम का भुगतान जुर्माने के रूप में करना होगा.
ज्वॉइन करने पर दो तरीके से फंसाते हैं
ऑनलाइन काम शुरू करने के समय ही साइबर अपराधी झांसा देते हैं कि अगर 10 दिन का काम 2 दिन में कर देंगे तो 5 हजार रुपये अधिक दिए जाएंगे. जैसे ही आप वह काम दो दिन में ही पूरा कर के देते हैं तो उधर से कहा जाता है कि आपने काम ठीक नहीं किया है. जब आप दोबारा काम करके देते हैं तब भी आप से यही कहा जाता है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें काफी मुश्किल काम दिया जाता है और वह कर नहीं पाते हैं. परेशान होकर ज्यादातर लोग इस काम को एक से दो दिन में छोड़ देते हैं.
इस तरह भेजते हैं लीगल नोटिस. जॉब छोड़ते ही शुरू होता है डराने का धंधा
जैसे ही आप काम करना बंद करते हैं उसके ठीक बाद शुरू होता है डराने और ब्लैकमेलिंग का धंधा. एग्रीमेंट की कॉपी को ब्लैकमेलिंग का हथियार बनाया जाता है. साइबर अपराधी नौकरी छोड़ने वाले को कहते हैं कि आप काम पूरा नहीं कर पाए. इसके चलते कंपनी को काफी नुकसान हुआ है. अब आपको एग्रीमेंट की शर्त के मुताबिक 35 से 40 हजार तक हर्जाना देना होगा.
आने लगते हैं वकील और पुलिस के फोन
अलग-अलग ठगों ने अलग-अलग रेट फिक्स कर रखा है. इसके लिए वे आपको फोन करेंगे या किसी वकील और पुलिस के जरिये फोन कराएंगे. आपको मैसेज भेजेंगे और ईमेल पर लीगल नोटिस भी भेजेंगे. डराया तो यहां तक जाता है कि रुपये शाम तक नहीं देने पर एफआईआर दर्ज करा दी जाएगी. इसके बाद कोर्ट में आकर मुकदमे के खर्च के साथ ही पूरा हर्जाना देना होगा.
साइबर अपराधी इतने शातिर हैं कि वे मुकदमे का नंबर और अगली तारीख पर उपस्थित होने का फर्जी नोटिस तक भेज देते हैं. यह पूरी साजिश इतने शातिराना तरीके से की जाती है कि ज्यादातर लोग डरकर खुद ही साइबर अपराधियों के खाते में रुपये भेज देते हैं. डाटा इंट्री से जुड़े फ्रॉड की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने परिवार और मित्रों को भी शेयर करें ताकि और कोई और इस जाल में न फंसे. ऐसी कोई भी घटना हो तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें.