रांची:अब तक आपने सुना होगा कि साइबर अपराधी किसी ना किसी बहाने ओटीपी पूछ कर लोगों के खाते से रकम उड़ा लेते हैं. लेकिन अब साइबर अपराधी बगैर ओटीपी पूछे ही खातों में सेंधमारी कर रहे हैं. झारखंड के अलग-अलग शहरों से पिछले तीन महीनों के भीतर 50 से अधिक मामले साइबर ठगी के ऐसे आए हैं, जिनमें बिना ओटीपी बताए ही लोगों के खातों से पैसे गायब कर लिए गए. लोग हैरान हैं परेशान हैं कि आखिर उनके पैसे खातों से कैसे गायब हो रहे हैं (Cyber criminals are doing fraud through Aadhaar).
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सिलिकॉन फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल:हाल के दिनों में रांची, लोहरदगा, धनबाद, चाईबासा और जमशेदपुर जैसे झारखंड के प्रमुख शहरों से बिना ओटीपी के पैसे गायब होने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. अधिकांश मामलों में जो लोग ठगी का शिकार हुए उनके पास ना कोई फोन आया, न ही कोई मैसेज या फिर न ही उन्होंने किसी लिंक पर क्लिक किया, लेकिन इसके बावजूद उनके खातों से पैसे गायब हो गए. सबसे हैरानी की बात तो यह है कि अधिकांश मामलों में जो पैसे गायब हुए वह कम 5000 से लेकर 25000 तक की थी. सूचना यह भी है कि जिनके काफी कम पैसे गायब हुए उन्होंने थाने में रिपोर्ट भी नहीं की. लेकिन मामले लगातार सामने जब आने शुरू हुए तो साइबर टीम अलर्ट हुई और मामले की तफ्तीश में जुट गई. रांची की साइबर डीएसपी यशोधरा भी बिना ओटीपी के पैसे गायब होने के कई मामलों की जांच कर रही है, जांच के दौरान यह जानकारी मिली है कि साइबर अपराधी आधार में प्रयोग किए गए फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल कर बिना ओटीपी के ही पैसे गायब कर रहे हैं. इसके लिए भी सिलिकॉन फिंगरप्रिंट का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं.
बेबसाइट से चुरा रहे फिंगरप्रिंट्स:दरअसल, साइबर अपराधी अब लोगों की अलग-अलग वेबसाइट पर शेयर की गई जरूरी दस्तावेजों की जानकारी इकट्ठा करते हैं. उन दस्तावेजों पर संबंधित व्यक्ति के अंगूठे या अंगुलियों के निशान हैं तो यह साइबर अपराधी उन दस्तावेजों से अंगूठे और उंगलियों के निशानों की क्लोनिंग कर लेते हैं. उनके बाद उनके बैंक खातों से जुड़ी जानकारी हासिल रहे हैं, सिलिकॉन अंगूठा बनाने के लिए साइबर अपराधी बटर पेपर पर अंगुलियों और अंगूठे का निशान लेते हैं, उसके बाद खातों की जानकारी इकट्ठा कर पैसे गायब करने के काम में लग जाते हैं.
आधार को करना होगा सुरक्षित:हम सभी जानते है कि आधार कार्ड एक ऐसा डॉक्यूमेंट बन गया है, जिसकी जरुरत बैंक में खाता खुलवाने से लेकर सिम खरीदने तक में होती है. कई बार लोगों का किसी कारण डाटा लीक हो जाता है. जिसकी वजह से साइबर ठगी होने की संभावना बढ़ जाती है. बहुत कम लोग यह जानते हैं कि इस समस्या को ध्यान में रखते हुए यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी यूआईडीएआई ने एक फीचर जारी किया है. इस फीचर के जरिए आप अपने आधार नंबर को लॉक कर सकते हैं, इस फीचर के माध्यम से यूजर अपने डाटा को सुरक्षित रख पाएंगे.
कैसे करें लॉक:अपने आधार पर लॉक लगाने के लिए उस पर मोबाइल नंबर रजिस्टर होना बहुत जरुरी है, बिना रजिस्टर मोबाइल नंबर के आप लॉक नहीं लगा सकते हैं. आज भी बहुत से ऐसे यूजर हैं जिनका मोबाइल नंबर आधार से लिंक नहीं है. ऐसे में अगर आपका मोबाइल नंबर भी रजिस्टर नहीं है तो आपको सबसे पहले अपना नंबर रजिस्टर करवाना है. यहां आपको यह जानना भी बेहद जरूरी है कि आधार में नंबर दर्ज करवाने का कोई भी ऑनलाइन तरीका नहीं है. आपको आधार सेंटर ही जाना पड़ेगा. यह नियम इसलिए रखा गया है ताकि कहीं आधार नंबर रजिस्टर करवाने के चक्कर में आप से साइबर ठगी ना हो जाए. यदि आप अपने आधार को लॉक कर देते है है तो कोई भी बिना आपकी इजाजत के आपका आधार कहीं पर भी इस्तेमाल नहीं कर सकता है. यहां तक कि कोई भी शख्स आपके फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल भी नहीं कर पाएगा. ऐसे में जरूरी है कि बिना ओटीपी का इस्तेमाल किए साइबर ठगी से बचने के लिए आप सभी अपने आधार को जरूर लॉक करवाएं.
लॉक होने पर आप भी नहीं कर पाएंगे प्रयोग:आधार को लॉक करने की प्रणाली इतनी बेहतर है कि लॉक होने की स्थिति में आप भी अपने आधार का प्रयोग नहीं कर पाएंगे, ऐसे में जब भी आपको आधार की जरूरत पड़ेगी तब आपको उसे अनलॉक करना पड़ेगा. इसके बाद ही आप अपने आधार का इस्तेमाल कर पाएंगे. जब आपने अपना आधार बनवाया होगा तो उसमे आपके नाम से लेकर आपके आंख और फिंगर प्रिंट तक की जानकारी सेव कर ली जाती है. यह एक तरह से आपका निजी डाटा होता है जो सर्वर पर स्टोर होता. जब भी आपका आधार प्रमाणित किया जाता है तो उसके लिए आपके फिंगर प्रिंट की जानकारी ली जाती है. जिसके जरिये पता चल जाता है कि आधार आपका ही है इससे आपकी पहचान साबित हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी पहचान को लॉक कर रखें.
पुलिस ने अपील की है कि वे संदिग्ध या अनधिकृत साइटों पर फिंगरप्रिंट या रेटिना स्कैन ना करें. रांची पुलिस ने ट्वीट के जरिये आम लोगों से यह अपील की है कि अगर कोई व्यक्ति या बेबसाइट आधार प्रमाणीकरण की मांग करें तो आप जल्दबाजी न करें. तुरन्त साइबर पुलिस को सूचित करें, इसके लिए आप साइबर हेल्पलाइन नंबर पर भी सूचना दे सकते हैं. साइबर क्राइम ब्रांच के अनुसार यह सभी लोगों को जानना आवश्यक है कि आधार प्रमाणीकरण के लिए आप अपना बायोमेट्रिक देते हैं, तो आपको नहीं पता होता है कि यह पैसे निकालने के लिए अनुचित तरीके से प्रयोग किया जा सकता है. इसमें वित्तीय धोखाधड़ी होने की पूरी संभावना रहती है. ऐसे में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है.
सावधानी के टिप्स भी जारी:साइबर पुलिस के अनुसार बायोमेट्रिक जानकारी बहुत ही संवेदनशील और गोपनीय है. साइबर अपराधी अनाधिकृत वेबसाइटों से अंगूठे के निशान सहित बायोमेट्रिक डेटा चुरा लेते हैं. वे सिलिकॉन पर डुप्लीकेट प्रिंट बनाते हैं और पीड़ित के आधार लिंक कर बैंक खाते से पैसे निकालते हैं. यूएआईडीआई की वेबसाइट और एम आधार एप्लिकेशन के माध्यम से अपने आधार से बायोमेट्रिक लिंक को तुरंत लॉक कर दें. आधार की जानकारी कभी भी किसी के साथ साझा नही करें. अगर बिना जानकारी के आधार सक्षम भुगतान प्रणाली से धोखाधड़ी हो गयी है, तो तुरंत इसकी सूचना संबंधित बैंक और 1947 पर कॉल करके दें. थाना को भी इसकी लिखित जानकारी दें.
लगातार आ रहे हैं मामले सामने:हाल के दिनों में राजधानी रांची सहित कई जिलों में फिंगरप्रिंट के जरिए धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, खासकर रजिस्ट्री ऑफिस में इससे संबंधित कई मामले सामने आए हैं जिसके बाद उनकी रिपोर्टिंग थानों में की गई है. यही वजह है कि अब पुलिस ट्विटर के साथ-साथ अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से साइबर अपराध के खिलाफ जागरुकता अभियान चला रही है.