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Ranchi News: रिम्स में लगे करोड़ों के सोलर सिस्टम बेकार, देखरेख के अभाव में धूल फांक रहे पैनल और बैटरी

राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स से आए दिन लापरवाही की खबरें सामने आती रहती है. इस बार मामला रिम्स में लगे सोलर पैनल से जुड़ा है. जो देखरेख के अभाव में खराब हो रहा है.

Crores of solar system useless in RIMS in ranchi
Crores of solar system useless in RIMS in ranchi

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Published : May 15, 2023, 8:13 AM IST

Updated : May 15, 2023, 8:36 AM IST

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रांची: झारखंड में बिजली व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सोलर सिस्टम को बड़े स्तर पर लागू करने का प्रयास राज्य सरकार की तरफ से किया जा रहा है. कई संस्थानों में सोलर के माध्यम से बिजली व्यवस्था को शुरू करने का प्रयास किया गया ताकि झारखंड में सौर उर्जा के माध्यम से एनर्जी को बचाया जा सके. झारखंड सरकार भले ही सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रही हो लेकिन झारखंड सरकार के अंदर चलने वाली संस्थाओं का सौर ऊर्जा के प्रति लापरवाही का आलम बदस्तूर जारी है.

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ताजा मामला राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में देखने को मिला. दरअसल राजधानी रांची के रिम्स में बिजली व्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगभग दो करोड़ के लागत से सोलर प्लांट को स्थापित किया गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के शासनकाल में जरेडा के सहयोग से रिम्स में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए सोलर के 1600 पैनल. 200 किलो वाट के दो सिस्टम स्थापित किए गए और सोलर पैनल को चार्ज करने के लिए उसकी बैटरी को रिम्स के बेसमेंट में लगाया गया.

लेकिन रिम्स प्रबंधन की लापरवाही की वजह से रिम्स के बेसमेंट में लगाए गए बैटरी खराब हो चुके हैं. क्योंकि बेसमेंट में पानी जमा होता है और रिम्स प्रबंधन के द्वारा बेसमेंट में ही कूड़े कचरे को फेंका जाता है. बेसमेंट की स्थिति इतनी बुरी हो गई है कि बैटरी को ठीक करने के लिए बेसमेंट के अंदर जाना कर्मचारियों के लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है.

बैटरी की खराब हालत को देखते हुए रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉक्टर राजीव रंजन से जब ईटीवी भारत की टीम ने बात की तो उन्होंने बताया कि पैनल और बैटरी के देखरेख की जिम्मेदारी जरेडा को दी गई थी. डॉ राजीव रंजन ने बताया कि वर्ष 2016 में जब सोलर पैनल को लगाया जा रहा था तो उसी समय जरेडा और रिम्स प्रबंधन के अधिकारियों की सहमति से बैटरी रखने की जगह को बेसमेंट में ही चिन्हित किया गया था. उस वक्त सनग्रेस एनर्जी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड की देखरेख में सोलर पैनल और उसके बैटरी की निगरानी की जाती थी. 5 साल पूरे होने के बाद वर्ष 2021 में सनग्रेस एनर्जी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड का करार खतम हो गया. जिसके बाद बेसमेंट में रखे बैटरी की स्थिति और भी ज्यादा खराब होती गई.

राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉक्टर राजीव रंजन ने बताया कि पूर्व निदेशक डॉ डीके सिंह के द्वारा पैनल के बैटरी को सुरक्षित रखने के लिए रिम्स के ऑंकोलॉजी डिपार्टमेंट के पीछे एक बड़ा कक्ष बनाया गया था लेकिन अभी तक उस स्थान का उपयोग बैटरी रखने के लिए नहीं किया जा रहा है. मालूम हो कि रिम्स में कई ऐसे महत्वपूर्ण जीवन रक्षक यंत्र है जो बिजली के माध्यम से ही संचालित होते हैं. कई बार बिजली के नहीं रहने की वजह से सोलर से उत्पन्न होने वाली बिजली का उपयोग कर जीवन रक्षक यंत्र को चलाया जाता है. जिससे मरीजों को काफी राहत होती थी. लेकिन बैटरी खराब होने के कारण कई पैनल काम नहीं कर रहे हैं और जो काम कर रहे हैं उसकी भी स्थिति खराब होती जा रही है.

रिम्स में सांसद प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत राजकिशोर बताते हैं कि रघुवर दास के सरकार में इसकी शुरुआत की गई थी लेकिन जिस तरह से रिम्स प्रबंधन ने लापरवाही बरती, इससे सिर्फ राज्य सरकार के करोड़ों रुपए का नुकसान नहीं हो रहा बल्कि रिम्स में आने वाले गरीब और लाचार मरीजों को भी काफी नुकसान होता है. उन्होंने बताया कि जल्द बैटरी और पैनल के खराब होने की सूचना सांसद के समक्ष रखेंगे ताकि रिम्स प्रबंधन को निर्देश देकर जल्द से जल्द सारे सोलर पैनल और उसकी बैटरी को दुरुस्त कराया जा सके. गौरतलब है कि रिम्स में लगे करोड़ों के सोलर सिस्टम आज धूल फांक रहे हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी की इस पर नजर नहीं जा रही है. जरूरत है करोड़ों के लगे सोलर सिस्टम को जल्द से जल्द दुरुस्त किया जाए ताकि रिम्स में आने वाले मरीज़ों को इसका सीधा लाभ मिल सके.

Last Updated : May 15, 2023, 8:36 AM IST

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