रांचीः कभी झारखंड पुलिस के लिए आतंक का पर्याय रहे पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश को अब ईडी के सवालों का भी जवाब देना होगा. टेरर फंडिंग मामले में दिनेश गोप से ईडी की टीम रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में सोमवार को पूछताछ करेगी.
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सोमवार को होगी पूछताछः पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप से ईडी सोमवार को जेल में पूछताछ करेगी. पीएलएफआई संगठन के टेरर फंडिंग से वसूली गई राशि की मनी लांड्रिंग और शेल कंपनियों के जरिए निवेश की जांच को लेकर झारखंड पुलिस और एनआईए में दर्ज केस में ईडी जांच कर रही है. ईडी ने पीएमएलए केस की धाराओं के तहत अलग अलग प्राथमिकियों को संलग्न करते हुए ईसीआईआर दर्ज की है. ईडी के रांची जोनल आफिस ने पीएमएलए कोर्ट में इस ईसीआईआर दर्ज करने के बाद कोर्ट से पूछताछ की इजाजत मांगी थी. इजाजत मिलने के बाद सोमवार को इस संबंध में पूछताछ होगी.
किन किन मामलों में जांच के दायरे में है दिनेश गोपः नवंबर 2016 में पीएलएफआई सुप्रीमो के लेवी के पैसों को नोटबंदी के बाद बैंक में जमा कराया जा रहा था, तब पुलिस ने उससे संबंधित आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इस मामले में बाद में एनआईए ने बेड़ो थाना में दर्ज केस को टेकओवर किया था. जांच के दौरान यह बात सामने आयी थी कि दिनेश गोप ने अपने करीबी सुमंत कुमार के जरिए शेल कंपनियों में निवेश किया था. इन शेल कंपनियों में दिनेश गोप की दोनों पत्नियां भी निदेशक थीं. शेल कंपनियों के जरिए लेवी के पैसों के निवेश के पहलुओं पर अब ईडी जांच करेगी. इसी मामले में दिनेश गोप की दोनों पत्नियां भी गिरफ्तार कर जेल भेजी गई थीं.
निवेश कुमार ने ठगे थे आठ करोड़, इसमें भी ईडी की जांचः वहीं धुर्वा निवासी निवेश कुमार नाम के महाठग ने भी दिनेश गोप से आठ करोड़ की ठगी की थी. विदेशी हथियार और कारतूस की खरीद के नाम पर निवेश कुमार ने ये पैसे दिनेश गोप से ठगे थे. दिनेश गोप की गिरफ्तारी के बाद एनआईए ने निवेश के यहां भी दबिश दी थी लेकिन वह जेल से निकलने के बाद फरार हो गया था. इस केस को भी ईडी ने टेकओवर किया है, धुर्वा थाना में निवेश कुमार पर दर्ज केस में भी दिनेश गोप से ईडी पूछताछ करेगी.
बैंकिंग चैनल के जरिए शेल कंपनियों में किया था निवेशः 25 लाख के इनामी दिनेश गोप को एनआईए की टीम ने 25 मई को गिरफ्तार किया था. दिनेश गोप ने टेरर फंडिंग के जरिए अकूत संपत्ति की कमाई की है. झारखंड के रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, चाईबासा समेत कई जिलों में पीएलएफआई का प्रभाव रहा था. जहां से दिनेश गोप ने कारोबारियों, ठेकेदारों से वसूली कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की. 10 नवंबर 2016 यानी नोटबंदी की घोषणा के दो दिन बाद दिनेश गोप ने पेट्रोल पंप संचालक के द्वारा बैंक खातों में पैसा जमा कराने का प्रयास किया लेकिन तमाम राशि बरामद कर ली गयी.
एनआईए ने 19 जनवरी 2019 से जांच शुरू की, जिसमें जांच एजेंसी ने पाया कि लेवी के पैसों से दिनेश गोप ने भारी संख्या में अचल संपत्ति खरीदी है, साथ ही शेल कंपनियों के जरिए निवेश भी कराया. एनआईए ने इस केस में दिनेश गोप की दोनों पत्नी, उसके कई सहयोगियों को शिकंजे में लिया. 9 जनवरी 2017 को पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ चार्जशीट की. एनआईए ने केस को टेकओवर करते हुए इसमें दिनेश गोप समेत 11 आरोपियों के खिलाफ 23 जुलाई 2022 को चार्जशीट दायर की. इसमें 5 लोगों के साथ तीन प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया. एनआईए ने जांच के बाद कार्रवाई करते हुए 14 बैंक अकाउंट में जमा पैसे, 2 कार, अचल संपत्तियों को यूएपीए के तहत जब्त भी किया.
दिनेश गोप ने मेसर्स पलक इंटरप्राइजेज, शिव आदि शक्ति, मेसर्स शिव शक्ति समृद्धि इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स भाव्या इंजीकॉन जैसी कंपनियों में निवेश किया था. इस कंपनियों में उग्रवादियों के परिवार के सदस्यों को ही निदेशक बनाया गया था. लेवी की राशि को हवाला कारोबारियों के मदद से भी कई जगह ट्रांसफर किए जाने के साक्ष्य एनआईए को मिले थे.
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