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फादर स्टेन स्वामी को भाकपा माले ने दी श्रद्धांजलि, केंद्र पर विरोध के स्वर को दबाने का लगाया आरोप

फादर स्टेन स्वामी की मौत के बाद से राजनीतिक दलों का विरोध तेज हो गया है. शुक्रवार को भाकपा माले के प्रदेश कार्यालय में उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई. बाद में भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने मौत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा केंद्र सरकार विरोध के स्वर को दबा रही है, जिसके खिलाफ राजनीतिक रूप से संगठित होने की जरूरत है.

tribute to stan swami
स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि

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Published : Jul 10, 2021, 11:50 AM IST

रांचीः ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट (Human Rights Activist) फादर स्टेन स्वामी (Father Stan Swamy) की मौत के बाद राजनीतिक पार्टियों का विरोध तेज हो गया है. शुक्रवार को भाकपा माले ने प्रदेश कार्यालय में फादर स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान माले ने स्टेन स्वामी की मौत को सत्ता प्रायोजित हत्या करार दिया.

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विरोध के स्वर को दबा रही है सरकार

भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उनकी मौत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा विचाराधीन कैदियों और विस्थापन के सवाल पर लगातार लड़ने वाले योद्धा स्टेन स्वामी को केंद्र की सरकार ने विचाराधीन बंदी और विस्थापित करके मार डाला, ताकि सभी जन आंदोलन करने वाले भयभीत हो सकें और अपने हक के लिए आवाज नहीं उठा सके. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा जो भी लोग असहमति और विरोध का स्वर ऊंचा कर रहे हैं, उसे केंद्र सरकार एनआईए ( National Investigation Agency)और यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act)का इस्तेमाल कर जेल में बंद कर मारने का काम कर रही है.

भाकपा माले प्रदेश कार्यालय में स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि

विरोध के स्वर को करना होगा संगठित

दीपांकर भट्टाचार्य ने फादर स्टेन की मौत के विरोध में देश भर में उठ रहे आवाज को संगठित करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा केंद्र सरकार के खिलाफ उठे आक्रोश को संगठित राजनीतिक दिशा देने की जरूरत है जिसकी पहल झारखंड से होनी चाहिए. उन्होंने कहा एकजुट होकर ही केंद्र के खिलाफ आवाज उठाई जा सकती है.

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कौन थे फादर स्टेन स्वामी?

फादर स्टेन स्वामी झारखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता थे. झारखंड में चल रहे जल, जंगल, जमीन, विस्थापन जैसे आंदोलन को उन्होंने बौद्धिक समर्थन दिया था. फादर स्टेन स्वामी 60 के दशक में तमिलनाडु के त्रिचि से झारखंड पादरी बनने आए थे. थियोलॉजी (धार्मिक शिक्षा) पूरी करने के बाद वह पुरोहित बने, लेकिन ईश्वर की सेवा करने की बजाय उन्होंने आदिवासियों और वंचितों का साथ चुना. वे कई वर्षों से राज्य के आदिवासी और अन्य वंचित समूहों के लिए काम कर रहे थे. उन्होंने विशेष रूप से विस्थापन, संसाधनों की कंपनियों की ओर से लूट और विचाराधीन कैदियों के साथ-साथ कानून पर काम किया.

क्यों हुई थी गिरफ्तारी

फादर स्टेन स्वामी पर 1 जनवरी 2018 में महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हिंसा मामले और खूंटी पत्थलगड़ी विवाद को लेकर राष्ट्रद्रोह का केस दर्ज हुआ था. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में एनआई ने उनको गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. फादर स्टेन स्वामी की तबीयत खराब होने के बाद उन्हें मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उनका निधन हो गया. जिसके बाद से ही राजनीतिक दल तमाम तरह के आरोप लगा रहे हैं.

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