रांची:झारखंड में भाकपा माओवादियों के नेतृत्व को लगातार बड़े झटके लग रहे हैं. भाकपा माओवादियों के सेकेंड इन कमांड प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और माओवादियों
थिंक टैंक माने जाने वाले कंचन दा उर्फ कबीर समेत दर्जनभर बड़े माओवादी नेताओं की गिरफ्तारी और दर्जन भर बड़े नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है. इसके बाद भाकपा माओवादियों के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है. आलम यह है कि जब भी संगठन अपने आप को मजबूत करने की कोशिश करता है, तभी उन पर पुलिस का कड़ा प्रहार हो जा रहा है. चतरा में एक साथ पांच इनामी नक्सलियों के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद तो संगठन की कमर ही टूट गई है.
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प्रशांत बोस के गिरफ्तारी के बाद चतरा कांड बड़ा झटका:बीते सोमवार को झारखंड में भाकपा माओवादियों के नेतृत्व को बड़ा झटका लगा, जब एक साथ पांच इनामी एनकाउंटर में मारे गए. दरअसल झारखंड पुलिस माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को टारगेट में रखकर अभियान चला रही है. मात्र ढाई सालों में झारखंड पुलिस के द्वारा बेहतर रणनीति के बल पर चलाए गए अभियान की वजह से भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को लगातार झटके लगते रहे हैं. पुलिस के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि झारखंड में पिछले ढाई सालों में जब कभी भी बड़े नक्सल कमांडर ने सक्रियता दिखाई उसे उसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ गया.
कब कब पकड़े गए बड़े उग्रवादी:झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2020 से लेकर 2023 के जनवरी महीने तक कुल 1290 नक्सली गिरफ्तार हुए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं, जिनकी गिरफ्तारी से संगठन को बड़ा झटका लगा. बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाने की शुरुआत 2020 से शुरू हुई थी. इस दौरान कई बड़े और इनामी गिरफ्तार किए गए. वहीं, दूसरी तरफ माओवादियों से बूढ़ापहाड़, बुलबुल के जंगल छिनने के बाद, पुलिस और केंद्रीयबलों ने चाईबासा, सरायकेला और खूंटी के ट्राइजंक्शन पर एक करोड़ के माओवादी पतिराम मांझी के दस्ते को खदेड़ने में कामयाबी पाई थी, अब सोमवार को सीमांत इलाके में भी दो सैक कमांडरों और तीन सब जोनल कमांडरों के मारे जाने से माओवादियों की कमर इलाके में टूट गई है.
प्रमुख नाम जो गिरफ्तार हुए:प्रशांत बोस- इनाम एक करोड़, रूपेश कुमार सिंह, (सैक मेम्बर) प्रभा दी- इनाम 10 लाख, सुधीर किस्कू- इनाम 10 लाख, प्रशांत मांझी- इनाम 10 लाख, नंद लाल मांझी- इनाम 25 लाख, बलराम उराव- इनाम 10 लाख
बड़े माओवादी के आत्मसमर्पण से भी संगठन हुआ कमजोर:झारखंड में भाकपा माओवादियों को ताकतवर बनाने वाले कई बड़े नाम संगठन छोड़ कर पुलिस के शरण में आ चुके हैं. महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, सुरेश सिंह मुंडा, भवानी सिंह, विमल लोहरा, संजय प्रजापति, अभय जी, रिमी दी, राजेंद्र राय जैसे बड़े माओवादी पुलिस के सामने हथियार डाल चुके हैं.