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रांची: भाकपा माओवादियों में अंदरूनी संघर्ष बढ़ा, अपनों के खिलाफ शुरू हुई पोस्टरबाजी

देश के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादी की झारखंड यूनिट में इन दिनों आपसी कलह बढ़ती जा रही है. बाहरी लोगों को संगठन में अहम जिम्मेदारी मिलने से इस तरह की सामने आई है. आने वाले दिनों में यह संघर्ष और बढ़ सकता है.

नक्सली संगठन
नक्सली संगठन

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Published : Sep 11, 2020, 9:06 PM IST

रांची: देश के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादी की झारखंड यूनिट में आपसी कलह तेज होता जा रहा है. पैसे और जातिगत भावना को लेकर संगठन में कई बड़े नेता एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं.

क्या है पूरा मामला

झारखंड में भाकपा माओवादियों में आंतरिक संघर्ष बढ़ गया है. बाहर के माओवादियों को तरजीह मिलने, लॉकडाउन की आर्थिक समस्या और जातीय आधार पर हाल के दिनों में माओवादी संगठन में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

संगठन में आंतरिक संघर्ष की स्थिति यह है कि भाकपा माओवादी संगठन ने सब जोनल कमांडर बोयदा पाहन, जीतराय मुंडा, विमल पूर्ति को फरार तक घोषित कर दिया है. भाकपा माओवादी संगठन ने मुरहू, सोयको और मारंगहदा थाना क्षेत्रों में पोस्टरबाजी कर कुख्यात नक्सली बोयदा पाहन और विमल पूर्ति को भगोड़ा करार दिया.

लांदुप, सेरेंगडीह और संसागबेड़ा इलाके में पोस्टरबाजी कर नक्सलियों ने बोयदा और विमल को संगठन से भागा हुआ नक्सली बताया है. माओवादियों ने ग्रामीणों से अपील की है कि इन भगोड़े नक्सलियों को रहने की जगह न दें.

पतिराम मांझी को तरजीह मिलने से विवाद बढ़ा

कोल्हान के इलाके में संगठन के कमजोर होने के बाद पतिराम मांझी उर्फ अनल को गिरिडीह के इलाके से ट्रांसफर कर कोल्हान भेजा गया था. संगठन में अनल को सैक कमांडर से प्रमोट कर केंद्रीय कमेटी मेंबर बनाया गया था, जिसके बाद पतिराम मांझी ने सरायकेला-खरसावां, खूंटी और चाईबासा के ट्राई जंक्शन पर संगठन को नए सिरे से खड़ा किया.

इसी दौरान बंगाल के जंगल महल से केंद्रीय कमेटी मेंबर असीम मंडल, अमित महतो का दस्ता भी कोल्हान के इलाके में आया. बाहर के इलाके से माओवादियों के आने के बाद स्थानीय माओवादियों में धीरे धीरे नाराजगी बढ़ी.

क्या जानकारी है सुरक्षा एजेंसियो के पास

खुफिया एजेंसियों को जो सूचनाएं मिली हैं उसके मुताबिक, जातीय आधार पर संघर्ष बढ़ा है. जानकारी के मुताबिक अनल और महाराज में भी कई मामलों को लेकर वर्तमान में तनाव चल रहा था, लेकिन अब खुफिया एजंसियों को मिली जानकारी के अनुसार महाराज और अमित की फिर से नए सिरे से नजदीकी बढ़ी है.

हालांकि बोयदा, जीतराय और विमल जैसे पुराने कैडर अभी संगठन से दूर हुए हैं. ऐसा पहली बार भी है जब पोस्टरबाजी कर माओवादियों ने अपने ही पदाधिकारियों के खिलाफ संदेश जारी किया है.

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पीएलएफआई ने शूटर को संगठन में बनाया पदधारी जानकारी यह भी है कि मुख्यमंत्री आवास के समीप जुलाई वर्ष 2018 में कोई पूर्व एसपीओ बुधू दास को गोली मारने वाले शूटर दाऊद तिर्की को पीएलएफआई संगठन में महत्वपूर्ण पद दिया गया है.

पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हो गया है कि दाऊद ने ही बुधू को गोली मारी थी. दाऊद के पकड़े जाने के बाद इस बात की जानकारी मिल पाएगी कि किसके कहने पर उसने घटना को अंजाम दिया था. इस मामले में रांची पुलिस ने नामजद अभियुक्त बबलू कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया था.

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