रांची: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 मामले (High school teacher appointment case) में सुर्खियों में रही सोनी कुमारी बुधवार को सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए पुलिस सुरक्षा के बीच झारखंड कर्मचारी चयन आयोग दफ्तर पहुंची. सोनी कुमारी के अलावा इस केस में प्रार्थी बने 123 अन्य परीक्षार्थियों के सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन की तारीख भी बुधवार को ही सुनिश्चित थी. आयोग कार्यालय में इस मामले में शेष अन्य पेटिशनर का सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन गुरुवार यानी 15 दिसंबर को किया जायेगा. इधर छात्रों के धमकी को देखते हुए सोनी कुमारी को टाटी सिल्वे थाना पुलिस के द्वारा स्कॉट करके जेएसएससी कार्यालय तक आज सुबह 10.30 बजे पहुंंचाया गया.
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हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 के मामले में हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कानूनी लड़ाई लड़कर जीतनेवाली सोनी कुमारी ने अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इधर इस परीक्षा में शामिल वैसे अभ्यर्थी जिनका सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन पहले होने के बाबजूद सुप्रीम कोर्ट के आये आदेश के बाद बीच में ही नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गई, वे बड़ी संख्या में आयोग कार्यालय पहुंचे. नाराज छात्रों का मानना है कि सरकार और जेएसएससी ने बातों को न्यायालय के समक्ष सही से नहीं रखा है, जिस वजह से आज वे सड़क पर हैं. नाराज छात्रों ने सरकार से इस संबंध में शेष बचे पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की अपील की है.
लंबे समय से चल रही है कानूनी लड़ाई: हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 मामले में लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही है. इस केस में सोनी कुमारी की ओर से पक्ष रख रहे अधिवक्ता ललित कुमार सिंह कहते हैं कि 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को अब तक नियुक्त हुए अभ्यर्थियों के अंतिम कट ऑफ को आधार मानकर इस केस के सभी पेटिशनर की मेधा सूची तैयार कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में शेष बचे पदों पर नियुक्ति कैसे होगी उसपर सुप्रीम कोर्ट आगे की सुनवाई में आर्डर दे सकती है.
क्या है पूरा मामला: दरअसल, 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था. हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.