रांची: तस्वीर में दिख रहे इस बच्चे की उम्र महज 6 माह है, लेकिन दुर्भाग्य से इस नन्हीं सी जान को काफी गंभीर बीमारी है. बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप 1 नाम की बीमारी ने जकड़ लिया है. इस बीमारी के बारे में डॉक्टर बताते हैं कि यह बीमारी अमूमन करोड़ों लोगों में से एक को होता है. इस बीमारी के इलाज के लिए लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं लेकिन इसके बावजूद मरीज के जिंदा रहने की गारंटी नहीं होती है.
कई डॉक्टरों ने खड़े कर दिए हाथ:खूंटी के रहने वाली 6 माह के इस बच्चे को परिजनों ने झारखंड के विभिन्न जिलों के कई शिशु रोग विशेषज्ञों को दिखाया. सभी डॉक्टरों ने बच्चे के इलाज के लिए हाथ खड़े कर दिए.
एसएमए टाइप 1 नाम की दुर्लभ बीमारी ने बच्चे को जकड़ा:नवजात के परिजनों ने फिलहाल बच्चे को राजधानी रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में एडमिट कराया है. जहां पर डॉक्टर जीशान अहमद की निगरानी में बच्चे का इलाज हो रहा है.
जन्मजात है यह बीमारी:बच्चे की बीमारी को लेकर रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जीशान अहमद ने बताया कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी टाइप वन अमूमन छोटे बच्चों में ही देखा जाता है. डॉक्टर जीशान अहमद ने बताया कि इस बीमारी का इलाज भारत के कुछ एक अस्पतालों में ही होता है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी में बच्चे को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. बच्चे को बाहर से ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा है. यह बीमारी किसी इंफेक्शन से नहीं होता है बल्कि बच्चा जन्म के साथ ही इस बीमारी को लेकर आता है.
इस बीमारी में महज एक से डेढ़ साल में बच्चों की हो जाती है मौत:डॉक्टर ने बताया कि बीमारी में बच्चों की मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं और उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. ऐसे में बच्चे को निमोनिया होने का खतरा रहता है. यदि निमोनिया का इलाज सही समय पर नहीं किया जाए तो एक से डेढ़ साल के अंदर बच्चे की मौत भी हो सकती है.