रांची: पूरी दुनिया कोरोना वायरस के नए सब वैरियंट Covid Omicron BF7 से सहमी हुई है. भारत में अभी हालात पूरी तरह सामान्य हैं. बावजूद इसके एक डर झारखंड जैसे राज्यों के संदर्भ में यह है कि राज्य में कोरोना वैक्सीन को लेने में लोगों ने उदासीनता दिखाई है. 60+ वाले 28 लाख बुजुर्गों ने वैक्सीन का बूस्टर डोज नहीं लिया है. वहीं 18+ वाले 50 लाख से अधिक लोगों ने कोविड वैक्सीन का दूसरा डोज ही नहीं लिया है.
झारखंड में कोरोना के कम वैक्सिनेशन और नए वैरिएंट के आने के बाद सवाल उठता है कि अगर राज्य में कोरोना के नए सब वैरियंट ने अपना संक्रमण का जाल फैलाया और तबाही मचाई तब क्या होगा. ऐसा इसलिए कि विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि कोविड वैक्सीन का दो डोज लेने के बाद ही शरीर में इतनी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है कि वह कोरोना के वायरस को मारक होने से रोक सकें. ऐसे में जब दो डोज के बाद एक अंतराल पर एंटीबाडी घटने लगा बूस्टर डोज देने की शुरुआत हुई. लेकिन झारखंड में तो 50 लाख से अधिक लोगों ने वैक्सीन का दूसरा डोज ही नहीं लिया है.
लखनऊ और बनारस गई झारखंड की वैक्सीन: जनता को टीकाकरण के लिए जागरूक करने में विफलता का जिम्मेदार कौन है? यह सही है कि झारखंड के लोगों में कोरोना के वैक्सीन को लेकर शुरुआती दिनों से ही तरह तरह की भ्रांतियां रहीं. लोग टीकाकरण को लेकर कई बार उदासीन भी रहें, लेकिन सवाल यह है कि लोगों को वैक्सीन लेने के लिए प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी किसकी थी? जब झारखंड अपने कोटे के वैक्सीन, अपने लोगों को दे नहीं सका तो वैक्सीन को एक्सपायर होने से बचाने के लिए उसे लखनऊ और बनारस भेजा गया. जाहिर है कि वहां की सरकार ने उसे अपने राज्य के लोगों को दे भी दिया होगा.
झारखंड में कोरोना टीकाकरण:
1. झारखंड में 18+ उम्र वाले कुल 02 करोड़ 10 लाख 46 हजार 83 लोगों में से 50 लाख 03 हजार 234 लोगों ने अभी तक वैक्सीन का दूसरा डोज ही नहीं लिया है.