रांची: कोरोना के कारण साल 2020 का सभी पर्व त्यौहारों के रंग फीके हो गए हैं. आने वाले पर्व त्यौहार भी हालात को देखते हुए फीका ही होने की उम्मीद है. भाई-बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है. परिवहन सेवाओं पर असर पड़ने से डाक सेवा भी प्रभावित है. कुरियर से भी राखी भेजना मुश्किल है. जबकि रक्षाबंधन महज कुछ ही दिन बचे हैं. इस साल रक्षाबंधन के मौके पर भी बाजारों में करोड़ों रुपये के लॉस होने की आशंका जताई जा रही है.
डाक-कुरियर सेवा प्रभावित
भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन इस 3 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन इस बार रक्षाबंधन पर कोरोना वायरस महामारी का असर साफ साफ दिख रहा है. ऐसे में भाई की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी का बाजार पूरी तरह ठंडा पड़ा है. इसका मुख्य कारण है देशभर में लॉकडाउन के कारण यातायात सेवा बाधित होना. रक्षाबंधन के अवसर पर हर साल बाजारों में काफी भीड़ उमड़ती है. बहनें अपने भाइयों के कलाई में बांधी जाने वाली राखियों की खरीदारी करती हैं. डाक सेवा के अलावा कुरियर सेवा के जरिए राखियां विभिन्न प्रदेशों में भेजी जाती है, लेकिन इस साल सब कुछ थम सा गया है. यातायात की बेहतर सुविधा नहीं होने के कारण डाक सेवा पर प्रभावित है. वहीं रांची के मुख्य डाकघर में कोरोना वायरस संक्रमित एक मरीज की पुष्टि होने के बाद तो डाक सेवा पर काफी असर पड़ा है. डाकघर बंद है, कुरियर सेवाएं प्रभावित है और बाजार में सन्नाटा पसरा है.
व्यावसायियों को नुकसान
रक्षाबंधन के अवसर पर हर साल शहर के बाजारों और गलियों की दुकानें राखियों से पटी होती थी, लेकिन इस साल बाजारों में रौनक नहीं दिख रही है. इस बार राखी का 10 से 15 करोड रुपए का व्यवसाय चौपट होने की आशंका है. कोविड-19 को लेकर लगातार जारी हो रहे गाइडलाइन के मद्देनजर भी बाजार में असर साफ- साफ दिख रहा है. कारोबारी पूरी तरह मंदी के दौर से गुजर रहे हैं. राखी के थोक कारोबारियों ने अब तक मात्र 10 फीसदी कारोबार किया है. कोलकाता, दिल्ली से आने वाली राखियां बाजारों में इस साल बहुत कम दिख रह है. जबकि फरवरी महीने में ही राखियों का थोक, बाजारों तक पहुंच चुका था, लेकिन अब इन राखियों को बाजार में खपाने व्यवसायियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है. पिछले साल राखी के थोक कारोबारियों ने लगभग 10 से 15 करोड़ रुपये का कारोबार राजधानी रांची समेत आसपास के क्षेत्रों में किया था, लेकिन इस बार इस आंकड़े का 10 फीसदी भी कारोबार होना मुश्किल लग रहा है. मार्च से कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से राखी का बाजार पूरी तरह बर्बाद हो गया है.
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70 से 80 करोड़ का व्यवसाय चौपट