रांची:महज साल भर पहले हम सभी ने मौत का ऐसा मंजर और ऐसी तबाही देखी जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. दुनिया से रुखसत होने का ऐसा नजारा किसी ने कभी नहीं देखा, लेकिन, दुःखद है कि हमने इससे कुछ नहीं सीखा. कोरोना के केस कम होने लगे और हम पूरी तरह निश्चिंत हो गए. लेकिन, मौत का मंजर एक बार फिर लौट आया है और वो भी दोगुनी ताकत के साथ, लेकिन, इस बार हमारी तैयारी पिछली बार से भी बदतर है. झारखंड में जहां कुछ दिन पहले कोरोना के एक्टिव केस 500 से कम हो गए थे वहीं, अब यह पांच हजार से अधिक हो गए हैं. ढाई हजार से अधिक केस तो रांची में ही हैं. सरकार के सारे प्रयास इसके सामने नाकाफी हैं.
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रिम्स प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए
सिविल सर्जन कहते हैं कि जो केस सामने आ रहे हैं उसके हिसाब से मरीजों की पहचान की जा रही है. जिन मरीजों की हालत ज्यादा गंभीर है उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया जा रहा है. मरीजों की बढ़ती संख्या के आगे सरकार बेबस है. बेड की बात करें तो रिम्स में फिलहाल मात्र 98 बेड हैं और पिछले साल यहां बेड की संख्या 300 थी.
अब तो ऐसी हालत है कि रिम्स प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए हैं. ट्रॉमा सेंटर के बाहर नो बेड का पोस्टर तक चिपका दिया गया है. रिम्स में बेड मिलना किसी जंग जीतने से कम नहीं है. सदर अस्पताल में 118 बेड हैं और यह भी बढ़ते मरीजों की तुलना में काफी कम हैं. वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड के भी इंतजाम किए जा रहे हैं.