रांची: झारखंड में ओमीक्रोन वैरिएंट की पुष्टि के बाद से ही लोग भयभीत हैं. अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल है कि इस वायरस का असर जल्द कम होगा या फिर इसकी संक्रमण दर और भी बढ़ेगी. ओमीक्रोन वैरिएंट की संक्रमण दर डेल्टा और डेल्टा प्लस वैरिएंट से ज्यादा रहने के आईसीएमआर के अनुमान के बाद लोगों का भय और बढ़ गया. साथ ही ओमीक्रोन वैरिएंट को लेकर झारखंड में खास तौर से रांची में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. लेकिन लोगों के लिए एक अच्छी खबर है रिम्स के कोविड इंचार्ज डॉ. देवेश कुमार का कहना है कि झारखंड में पीक टाइम पार होने के करीब, 30 जनवरी के बाद संक्रमण की रफ्तार कम होने लगेगी.
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Corona Updates: झारखंड में 30 जनवरी के बाद कम होने लगेंगे कोरोना केस, कोरोना संक्रमण की दर पर झारखंड के चिकित्सकों की राय - rate of corona infection
झारखंड में ओमीक्रोन वैरिएंट की पुष्टि के बाद से ही लोग भयभीत हैं. अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल है कि इस वायरस का असर जल्द कम होगा या फिर इसकी संक्रमण दर और भी बढ़ेगी. इस बीच उनके लिए अच्छी खबर है झारखंड के कई चिकित्सकों ने इस संबंध में अपनी राय दी है. इनका कहना है कि झारखंड में कोरोना का पीक टाइम पार होने के करीब है 30 जनवरी के बाद यहां कोरोना केस में कमी आने लगेगी.
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ओमीक्रोन वैरिएंट के झारखंड में असर को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के कोविड इंचार्ज डॉ. देवेश कुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों का कहना है कि 30 जनवरी तक झारखंड में संक्रमितों की संख्या कम होने लगेगी. डॉ. देवेश का कहना है कि रिसर्च में देखा गया है कि अफ्रीका और अन्य देशों में ओमीक्रोन वैरिएंट का कहर लगभग 20 से 25 दिनों तक पीक पर था, उसके बाद धीरे-धीरे मामले घटने लगे और स्थिति सामान्य हो गई. इसी तरह भारत में भी यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 20 दिन से 25 दिन पूरे होने वाले हैं. इससे अनुमान है कि ओमीक्रोन वैरिएंट पीक को पार करने के करीब है अब धीरे-धीरे इससे संक्रमण की रफ्तार कम होने लगेगी.
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जांच कम होने से तो संख्या कम नहीं आ रहीः ईटीवी भारत की टीम ने जब डॉ. देवेश कुमार से यह पूछा कि कोविड टेस्ट कम होने से तो संक्रमितो की संख्या कम नहीं हो गई है, इस पर उन्होंने कहा कि आईसीएमआर की नई गाइडलाइन के अनुसार लोग जांच केंद्र पर कम पहुंच रहे हैं, जिस वजह से भी संक्रमितों की संख्या कम देखी जा रही है. लेकिन डॉक्टरों के क्लीनिकल और स्क्रीनिंग ट्रीटमेंट के आधार पर यह स्पष्ट हो चुका है कि अब लोग वायरस की चपेट में कम आ रहे हैं जिसका मुख्य कारण वैक्सीनेशन और राज्य सरकार द्वारा लगाई गईं पाबंदियां हैं.