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कांग्रेस विधायक इरफान का तालिबानी प्रेम, कहा- अफगानिस्तान में सभी हैं हैप्पी

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद उसके समर्थन और विरोध में भारत में बयानबाजी (Controversial statement on Taliban) का दौर जारी है. मुनव्वर राणा और सपा सांसद के बाद कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी (Congress MLA Irfan Ansari) ने भी तालिबान के प्रति अपना प्रेम जाहिर किया है.

Controversial statement on Taliban
Controversial statement on Taliban

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Published : Sep 3, 2021, 4:00 PM IST

रांची: काबुल में तालिबान के पैर रखते ही जिस तरह से अफगानियों में देश छोड़ने की होड़ मची है, उससे पूरी दुनिया वाकिफ है. किसी तरह अफगानिस्तान से भागकर दूसरे देशों में पहुंचे वहां के मूल नागरिक तालिबानी अत्याचार की पोल खोल रहे हैं.

अफगानिस्तान में लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. बात-बात पर तालिबानी गोलियां बरसाकर अपनी हनक दिखाते रहते हैं. महिलाओं का घर बाहर निकलना दुभर हो गया है. मानवाधिकार शब्द अफगानिस्तान से गायब हो गया है. जो वहां फंसे हैं, सभी भागना चाहते हैं. दूसरे पड़ोसी मुल्कों की सीमा पर भारी संख्या में अफगानी शर्णार्थी बन चुके हैं. तालिबानी जुल्म के खिलाफ तमाम बुद्धिजीवी आवाज उठा रहे हैं. लेकिन कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी खुलकर तालिबान की पैरवी कर रहे हैं.

कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी
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तालिबान से इरफान का प्रेम

कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी (Congress MLA Irfan Ansari) को अफगानिस्तान में सबकुछ अच्छा दिख रहा है. उन्होंने कहा कि तालिबान के आने से अफगानिस्तान के लोग खुश हैं. लेकिन बाहर के लोगों को कुछ और दिखाने की कोशिश हो रही है. अफगानिस्तान में अमेरीकी फोर्स ने जुल्म किया था. मां-बहन, बाल-बच्चों को तंग करता है. उसी के खिलाफ वहां लड़ाई है. लेकिन अब अफगानी और तालिबानी खुश हैं. यह पूछने पर कि क्या आप तालिबान का समर्थन कर रहे हैं तो उन्होंने का कि कहीं भी जब जनता पर जुल्म होगा तो मैं जनता के साथ खड़ा रहूंगा.

अभिनेता नसिरूद्दीन शाह ने दिखाया है आईना

दूसरी तरफ तालिबान पर फिल्म अभिनेता नसिरूद्दीन शाह के बयान की खूब चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान का दोबारा हुकूमत पा लेना दुनिया भर के लिए फिक्र की बात है, इससे कम खतरनाक नहीं है कि हिंदुस्तानी मुसलमानों के कुछ तबकों का उन वहशियों की वापसी पर जश्न मनाना. आज हर हिंदुस्तानी मुसलमान को अपने आप से ये सवाल पूछना चाहिए कि उसे अपने मजहब में सुधार और आधुनिकता चाहिए या वो पिछली सदियों के वहशीपन के साथ रहना चाहते हैं.

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