रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद, समग्र शिक्षा के अधीन कार्यरत संविदाधारी कर्मी वेलफेयर सोसाईटी की आमसभा की पहली बैठक संपन्न हुई. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में बेहतर शिक्षा व्यवस्था स्थापित करना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है.
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था स्थापित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था स्थापित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है. शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य किये जा रहे हैं. संविदाधारी शिक्षाकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए उनकी सरकार गंभीर है. "समग्र शिक्षा के अधीन कार्यरत संविदाधारी कर्मी वेलफेयर सोसाइटी" की नीति का लाभ सदस्यों को मिलना प्रारंभ हो, यह उनकी प्राथमिकता है. दरअसल, झारखंड मंत्रालय में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से आयोजित समग्र शिक्षा के अधीन कार्यरत संविदाधारी कर्मी वेलफेयर सोसाइटी की आमसभा की पहली बैठक में शिक्षा के स्तर को लेकर चर्चा हो रही थी.
कल्याण कोष का गठन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि समग्र शिक्षा के अधीन कार्यरत संविदाधारी कर्मी वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों के लिए कल्याण कोष का गठन किया गया है. एकीकृत और अन्य पारा शिक्षक, केजीवीवी, बीआरपी-सीआरपी कर्मियों को अब पांच लाख बीमा राशि का लाभ मिल सकेगा. कल्याण कोष नीति के तहत एकीकृत और अन्य पारा शिक्षक, केजीवीवी, बीआरपी-सीआरपी संविदाधारी कर्मियों के कार्यकाल के दौरान समान्य मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को सहायता प्रदान किया जाना है. अब सामान्य मृत्यु की स्थिति में भी 5 लाख बीमा राशि उपलब्ध कराई जाएगी. उन्होंने इस निमित्त बीमा के लिए निविदा प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है.
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बीमा राशि तय करने का प्रावधान
इस निमित्त ग्रुप इंश्योरेंस एक्सीडेंटल बीमा योजना के तहत 5 लाख तक का लाभ अधिकतम 80 रुपए प्रति व्यक्ति वार्षिक प्रीमियम राशि पर दिए जाने का प्रावधान किया गया है. बैठक में शिक्षा सचिव राहुल शर्मा ने बताय कि इस नीति के तहत दुर्घटना में मृत्यु होने और स्थायी रूप से दिव्यांगता पर 5 लाख रुपए राशि की बीमा, अस्थायी दिव्यांगता की स्थिति में 2 लाख 50 हजार तक की राशि का कवरेज दिए जाने का प्रावधान किया गया है. मुख्यमंत्री ने इसके तहत निविदा प्रकाशित कर दर निर्धारण के पश्चात राशि उपलब्धता के आधार पर निर्णय लिए जाने का निर्देश दिया है. शिक्षा सचिव ने बताया कि सामान्य दिव्यांगता की स्थिति में असैनिक शल्य चिकित्सक की अनुशंसा पर दिव्यांगता प्रतिशत के आधार पर बीमा राशि तय करने का प्रावधान किया गया है.
ऋण सहायता की भी है व्यवस्था
बैठक में मुख्यमंत्री के समक्ष यह भी बताया गया कि कल्याण कोष के सदस्यों को प्रदान किए जाने वाली लाभों में ऋण सहायता की भी व्यवस्था की गई है. इसके लिए राज्य सरकार की ओर से 10 करोड़ की कॉरपस फंड सूद की उपलब्ध संपूर्ण राशि पर ऋण देने का निर्णय लिया गया है. सदस्य के बेटा या बेटी की उच्च शिक्षा और बेटी के विवाह के लिए 50 हजार से 2 लाख तक ऋण देने का प्रावधान किया गया है.
इसी तरह राज्य सरकार की ओर से घोषित असाध्य रोग के इलाज के लिए भी कल्याण कोष नीति में ऋण प्रावधान किया गया है. लाभार्थियों के 5 साल तक सेवा अवधि रहने पर 25 हजार रुपए, 10 साल तक सेवा अवधि रहने पर 50 हजार रुपए, 15 साल सेवा अवधि रहने पर 75 हजार रुपए और 15 साल से अधिक सेवा अवधि रहने पर एक लाख रुपए की राशि ऋण स्वरूप प्रदान किए जाने की व्यवस्था प्रावधानित है.