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झारखंड कांग्रेस में आदिवासी नेताओं को मिलता रहा है सम्मान, इनके कंधों पर रही प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी

रांची में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के राजनीतिक दल की तरफ से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. जहां कांग्रेस आदिवासी समाज के एसे लोगों को सम्मानित करेगी, जिसने समाज के हित में काम किया होगा.

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झारखंड कांग्रेस में आदिवासी नेताओं को सम्मान दिया जाएगा.

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Published : Aug 8, 2020, 5:43 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 8:45 PM IST

रांची:विश्व आदिवासी दिवस को लेकर सभी राजनीतिक दल कार्यक्रमों का आयोजन करेगी. ऐसे में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस भी झारखंड के वैसे आदिवासी समाज के लोगों को सम्मानित करेगी, जिन्होंने समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य किए हैं. साथ ही केंद्रीय लोकसेवा आयोग में झारखंड के सफल आदिवासी विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया जाएगा. ताकि उनकी हौसला अफजाई हो सके.


झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी
हालांकि, कांग्रेस हमेशा सही झारखंड के आदिवासी समाज के लोगों का सम्मान करती है. यही वजह है कि झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कामन सबसे ज्यादा आदिवासी नेताओं को सौंपी जाती रही है. झारखंड अलग होने के बाद से अब तक सिर्फ एक ही गैर आदिवासी अध्यक्ष बनाए गए, जबकि बाकी सभी आदिवासी नेता ही प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालते हैं और वर्तमान में भी संभाल रहे हैं.

विश्व आदिवासी दिवस पर बड़े पैमाने पर कार्यक्रम
विश्व आदिवासी दिवस झारखंड में बड़े पैमाने पर आयोजित होता रहा लेकिन कोविड-19 के प्रसार को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस पर बड़े पैमाने पर तो कार्यक्रम आयोजित नहीं होंगे, लेकिन फिर भी इस मौके पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस समाज के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले आदिवासी चेहरों को सम्मानित करेगी. कांग्रेस का कहना है कि उनकी पार्टी हमेशा से ही झारखंड के आदिवासियों का सम्मान करती है और झारखंड राज्य का गठन होने के बाद लगातार प्रदेश की कमान आदिवासी नेताओं के हाथ में ही रही है. इसके तहत थॉमस हांसदा, इंद्रनाथ भगत, प्रदीप बलमुचू,सुशीला केरकेट्टा, सुखदेव भगत,डॉ. अजय कुमार और वर्तमान में रामेश्वर उरांव प्रदेश कांग्रेस की कमान सम्भाल रहे हैं.


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आदिवासी नेताओं को दी जाती है कांग्रेस की कमान
पार्टी नेताओं का कहना है कि जिस तरह से प्रदेश कांग्रेस की कमान हमेशा आदिवासी नेताओं को दी जाती रही है और संगठन को मजबूत करने की जिम्मेवारी भी उनके कंधों पर ही रही है. इससे साफ हो जाता है कि कांग्रेस झारखंड के आदिवासियों का सम्मान ऊंचे पदों पर बैठा कर करती आई है. ऐसे में वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कई पुराने वरिष्ठ आदिवासी नेताओं ने पार्टी का साथ जरूर छोड़ा, लेकिन साथ छोड़ने के बाद उन्हें पछतावा भी हुआ. इससे सभी वाकिफ भी है और लगातार ऐसे कई चेहरे पार्टी में वापसी भी करना चाहते हैं. क्योंकि कांग्रेस में रहकर उन्हें जितना सम्मान मिला. वह दूसरे जगह पर नहीं मिल पाया है.

आदिवासी हितों के लिए करती है काम
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष रामेश्वर उरांव बताते है कि कांग्रेस पार्टी हमेशा आदिवासी हितों के लिए काम करती आई है. आजादी के दौरान आदिवासियों के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में सेवा मंडल का गठन किया गया, जिसके तहत संविधान में प्रावधान सुनिश्चित किए गए और आदिवासी बच्चे बच्चियों के लिए जगह-जगह स्कूल खोले गए. इतना ही नही देश को आजादी दिलाने के बाद संविधान निर्माण के लिए समिति का गठन किया गया. इस संविधान के माध्यम से ही आदिवासियों के लिए नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था कराई गई, जिसके बाद से आदिवासियों का सर्वांगीण विकास हो पाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने आदिवासियों के कल्याण के लिए जो कार्य किए हैं. वह किस से छिपा नहीं है. यही नहीं पार्टी ने जल, जंगल और जमीन की सुरक्षा को लेकर भी कई कानून बनाकर लोगों के अधिकारों को समृद्ध और मजबूत करने का प्रयास किया है.

Last Updated : Aug 8, 2020, 8:45 PM IST

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