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झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी! पार्टी नेताओं की अनुशासनहीनता पर आलाकमान की नजर

झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी सामने आ रही है. लेकिन बागी तेवर और पार्टी नेताओं की अनुशासनहीनता पर आलाकमान की नजर बनी हुई है. ऐसे में आने वाले वक्त में बगावती तेवर अपनाने वाले कांग्रेस नेताओं पर गाज गिर सकती है.

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झारखंड कांग्रेस

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Published : Apr 10, 2022, 3:50 PM IST

रांचीः झारखंड में कांग्रेस सत्ता में शामिल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है तो महंगाई जैसे मुद्दे पर लगातार सड़क पर संघर्ष करती भी कांग्रेस ही नजर आ रही है. इसके बावजूद पार्टी के अंदर की गुटबाजी और एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़, पार्टी के जनाधार बढ़ाने की सभी कोशिशों पर पानी फेर देता है.

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झारखंड कांग्रेस में गुटबाजी और अनुशानहीनता को लेकर पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने साफ शब्दों में कहा है कि पार्टी की नीति, सिद्धांत और प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ काम करने वाले सभी नेताओं की गतिविधियों की जानकारी केंद्रीय नेतृत्व को है और कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे तक पहुंच चुकी है. उन्होंने पार्टी में अनुशासन बनाए रखने को भी कहा है, ऐसे में अगर कोई भी नेता कार्यकर्ता अनुशासन को तोड़ता है तो कार्रवाई होगी.

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भाजपा ने कसा तंजः कांग्रेस के अंदर की गुटबाजी को उस पार्टी का आंतरिक मामला बताते हुए भी भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने तंज कसा है. उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस में ही संभव है कि पार्टी संगठन के समानांतर ग्रासरूट कार्यकर्ता सम्मेलन किया जाए. सरहुल और अन्य त्योहार के लिए पोस्टर होर्डिंग लगे तो उसमें प्रदेश अध्यक्ष का नाम और फोटो गायब रहे. विधायक रांची में रहकर महंगाई के खिलाफ प्रदेश के कार्यक्रम में शामिल ना हो. इधर JSCA स्टेडियम में अन्य तीन विधायक के साथ मिलकर अपनी ही सरकार और नेताओं के खिलाफ जहर उगले और आलाकमान चुपचाप देखती रहे.

विधायक इरफान अंसारी के नेतृत्व में पिछले 07 अप्रैल को कुल चार विधायकों उमाशंकर अकेला, विक्सल कोंगारी, राजेश कच्छप और इरफान अंसारी ने अलग बैठक कर राज्य में चल रही हेमंत सरकार में शामिल सभी 4 मंत्रियों को हटाने, सरकार और संगठन में विधायकों ऑयर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा सहित तमाम आरोप लगाए. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की गले मिलते एक तस्वीर के बहाने बन्ना गुप्ता पर हमला बोला था और अपने साथ 09 विधायक होने का दावा भी किया था.

कांग्रेस के नेता आलोक दुबे, राजेश गुप्ता और किशोरनाथ शाहदेव भी रह-रहकर पार्टी नेतृत्व को चैलेंज करते रहते हैं. सरहुल में पार्टी दफ्तर के आगे ही इन तीनों के नाम से लगे शुभकामनाएं वाली होर्डिंग्स से प्रदेश अध्यक्ष की नाम और तस्वीर गायब कर दी गयी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश की ओर से ऐसे सभी नेताओं के कार्यकलाप की जानकारी केंद्रीय नेतृत्व को दी जा रही है. ऐसे में आने वाले वक्त में ऐसे बागी तेवर अपनाने वालों पर पार्टी नेतृत्व की ओर से कार्रवाई की गाज गिर सकती है.

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