रांचीःअखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की ओर से धरोहर श्रृंखला की 29वीं वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड की गई. इस वीडियो के माध्यम से देश के वर्तमान पीढ़ियों को कांग्रेस के इतिहास और विरासत से अवगत कराने कांग्रेस ने सीरीज 'घरोहर' जारी किया है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव समेत पार्टी विधायक, सांसद, नेता और कार्यकर्ताओं ने राष्ट्र निर्माण की अपने महान विरासत कांग्रेस की धरोहर श्रृंखला की 29वें वीडियो को अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया.
इस मौके पर डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि कांग्रेस अधिवेशन में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में तैयार नेहरू रिपोर्ट भारतीय बुद्धिमता पर सवाल उठाती ब्रिटिश हुकूमत को करारा जवाब था. नेहरू रिपोर्ट ने हमारे महान संविधान की संरचना का खाका तैयार कर दिया था. धरोहर का यह एपिसोड भारतीय बुद्धिमत्ता का उत्कृष्ट उदाहरण है.
डॉ. उरांव ने कहा कि अंग्रेज सत्ता अहंकार में इतनी चूर हो गई थी कि उसको भारतीय हर मामले में अयोग्य नजर आने लगे. साइमन कमीशन के समय भी अंग्रेजों ने यह कहते हुए कि 'भारतीय संविधान बनाने योग्य नहीं है' एक भी भारतीय को कमीशन का सदस्य नहीं बनाया गया. पंडित जवाहर लाल नेहरू सहित कांग्रेस के तमाम नेताओं और देशवासियों को अंग्रेजों के ये अहंकार और भारतीयों को कम आंकने की हनक भीतर तक चुभ गई.
कांग्रेस ने 1927 में मद्रास में संविधान का ड्राफ्ट बनाने की अंग्रेजों की चुनौती स्वीकार की और यहीं से नेहरू रिपोर्ट का जन्म हुआ. संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए मोतीलाल नेहरू की अगुवाई में एक समिति बनी, जिसके पंडित जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस सचिव बने. अली इमाम, तेज बहादुर सप्रू, एमएसएन मंगल सिंह, सोयब कुरैशी और जी आर प्रधान इसके सदस्य बने.
मात्र 8 महीने के भीतर 28 अगस्त 1928 को नेहरू कमेटी ने संविधान का ड्राफ्ट तैयार करके जमा कर दिया. यह भारतीयों की बुद्धिमता और योग्यता पर संदेह करती अंग्रेजी हुकूमत के मुंह पर तमाचा था और जब भी किसी ने भारत या भारतीयों को कम समझने का दुस्साहस किया है, हमारे देश में हमेशा पुरजोर जवाब दिया है.
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि सभी दलों की सिफारिश पर तैयार नेहरू रिपोर्ट में देश को डोमिनियन स्टेटस की बात की गई. हालांकि पंडित नेहरू और नेताजी जैसे युवा कांग्रेसी नेता पूर्ण स्वराज के पक्ष में थे. यही नहीं 21 साल की उम्र के महिला पुरुष के लिए समान मताधिकार सहित 19 मौलिक अधिकार की वकालत नेहरू रिपोर्ट में की गई. नेहरू रिपोर्ट में धर्मनिरपेक्षता की भी सिफारिश की गई.
वहीं, मंत्री बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता ने धरोहर वीडियो को अपने सोशल मीडिया पर जारी करते हुए कहा कि नेहरू रिपोर्ट में धर्मनिरपेक्षता की सिफारिश के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट की स्थापना और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को भी प्राथमिकता दी गई. इसके अतिरिक्त नेहरू रिपोर्ट में मांग की गई कि भारतीयों के मौलिक अधिकार जब्त नहीं किए जाएंगे.