रांचीःवर्ष 2022 की विदाई और नूतन वर्ष 2023 के स्वागत की बेला पास आती जा रही है, ऐसे में अगर हम झारखंड में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बात करें तो ऐसा लगता है कि पूरे वर्ष पार्टी सत्ता और विवादों से जूझती (Congress Kept Fighting For Credibility) रही. अच्छी बात यह रही कि कांग्रेस उस बड़े झटके को झेल गई जो प्रदेश प्रभारी और झारखंड कांग्रेस पर मजबूत पकड़ रखने वाले आरपीएन सिंह के भाजपा का दामन थाम लेने से पैदा हुआ था. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले आरपीएन के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने अनुभवी संगठनकर्ता अविनाश पांडे को प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किया और एक के बाद एक कार्यक्रम आयोजित कर उन संभावनाओं पर विराम लगा दिया कि राज्य में कोई आरपीएन गुट भी अस्तित्व में है और वह कभी भी बगावत कर सकता है.
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कोलकाता में तीन विधायकों के पकड़े जाने के बाद, साख बचाना था सबसे जरूरीः सरकार गिरने-गिराने के आरोप प्रत्यारोप के बीच जब कांग्रेस के तीन विधायक डॉ इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और विक्सल कोंगारी को जब बंगाल पुलिस ने बड़ी धनराशि के साथ गिरफ्तार किया तो यही चर्चा तेज हो गई कि झारखंड की हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने की जो कोशिशें चल रही हैं और उसी का यह हिस्सा (Look Back 2022 Congress Party Jharkhand)है. अपने तीन विधायकों के पकड़े जाने के बाद जनता में यह मैसेज किया कि अगर हेमंत सोरेन की सरकार अस्थिर हुई तो इसके पीछे की वजह कांग्रेस के विधायक ही होंगे. क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पा रहा है. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने कड़ा रुख अपनाते हुए न सिर्फ तीनों आरोपी विधायकों को निलंबित कर दिया, बल्कि तीनों विधायकों के खिलाफ अपने एक अन्य विधायक से रांची में जीरो एफआईआर कराया. इतना ही नहीं कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने अपने ही तीनों विधायकों के खिलाफ विधानसभा न्यायाधिकरण में मामला भी दर्ज करा दिया और यह संदेश देने की कोशिश की कि कांग्रेस नेतृत्व अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगा.
तीन प्रदेश महासचिव सहित सात पदाधिकारियों को शोकॉजः प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नेतृत्व को पहले दिन से ही चुनौती देने वाले और उन्हें आरपीएन सिंह की पसंद बताकर हटाने की मांग करने वाले दल के तिगड़ी आलोक दूबे, राजेश गुप्ता और किशोरनाथ शाहदेव सहित सात प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों को शो कॉज और दल से बाहर करने की अनुशंसा के साथ ही कांग्रेस नेतृत्व ने इस वर्ष यह साफ संदेश देने की कोशिश की कि पार्टी के लोकतांत्रिक ढांचे में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.