रांची: झारखंड सरकार ने 7323.25 करोड़ का द्वितीय अनुपूरक बजट भाजपा विधायकों की अनुपस्थिति में विधानसभा से पारित करा लिया. कटौती प्रस्ताव पर झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम, विधायक बंधु तिर्की, इरफान अंसारी, अमित कुमार और विनोद सिंह ने अपना पक्ष रखा. जवाब में वित्त मंत्री ने बताया कि कुछ आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अनुपूरक बजट लाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि आप सभी वाकिफ हैं कि किस तरह डीवीसी की बकाया राशि को आरबीआई के राज्य सरकार के खाते से दो बार निकाल लिया गया. अनुपूरक बजट में डीवीसी की बकाया राशि की भी व्यवस्था की गई है. उन्होंने अनुपूरक बजट पारित होने के बाद वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने झारखंड विनियोग (संख्या - 01) विधेयक 2021 को पटल पर रखा. इधर बुधवार को दोपहर 12 बजे वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव झारखंड का बजट पेश करेंगे. इससे पहले राज्यपाल को बजट की कॉपी सौंपेंगे.
ये भी पढ़ें-आसान भाषा में समझिए बजट की सारी बातें, पढ़िये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट
तृतीयक क्षेत्र में 8 प्रतिशत की वृद्धि
इससे पहले भोजनावकाश की घोषणा से पूर्व भाजपा विधायकों के हंगामे के बीच वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 को भी सभा पटल पर रखा. इसमें कहा गया है कि कोविड-19 ने झारखंड की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है. 2020-21 में जीएसडीपी यानी राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में स्थिर मूल्य पर 6.9 प्रतिशत और प्रचलित मूल्य पर 3.2 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है. वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में राज्य की वास्तविक जीडीपी में 9.5 प्रतिशत और अनुमानित जीडीपी में 13.6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है. यानी झारखंड की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी. राज्य की अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों में वर्ष 2019-20 में तृतीयक क्षेत्र यानी होटल, संचार एवं प्रसारण सेवा, रियल एस्टेट, आवास गृहों का स्वामित्व और अन्य सेवाओं जैसे उप-क्षेत्रों में इस वर्ष 8 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है.
आपूर्ति शृंखला टूटने से मुद्रास्फीति में वृद्धि
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 2014-15 और 2019-20 के बीच बजट का आकार 12.1 प्रतिशत औसत वार्षिक दर से बढ़ा था. लेकिन चालू वित्त वर्ष 2020-21 में इसका आकार 22 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. 2014-15 और 2019-20 के बीच राज्य का राजकोषीय घाटा औसत वार्षिक दर 4.1 प्रतिशत से बढ़ा है. राज्य का ऋण बोझ राजकोषीय घाटे में इजाफे के कारण बढ़ गया है. हाल के महीनों में अर्थव्यवस्था में मंदी, कोविड-19, अर्थव्यवस्था के लॉकडाउन और आपूर्ति शृंखला टूटने के कारण मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि हुई है.