रांचीः राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) का पूरा लाभ झारखंड के विश्वविद्यालय और कॉलेजों को नहीं मिल पा रहा है. इसकी बड़ी वजह इन कॉलेजों का योजना का लाभ लेने के लिए पात्रता की शर्त को पूरा न कर पाना है. लेकिन इसके बाद भी 2013 में बनी इस योजना का लाभ उठाने के लिए राज्य के अधिकारी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं. इससे यहां के विद्यार्थियों के सुविधाओं से वंचित होने और दूसरे कॉलेज के विद्यार्थियों से पिछड़ने का खतरा मंडरा रहा है.
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बता दें कि उत्कृष्ट संस्थानों की संख्या में बढ़ोतरी हो और राज्य विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा में गुणवत्ता स्थापित करने के उद्देश्य से भारत सरकार की ओर से वर्ष 2013 में एक योजना के तहत राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA, रूसा) की शुरुआत की गई है. इस अभियान के अंतर्गत देशभर के चयनित विश्वविद्यालयों और लगभग 10 हजार राजकीय और अनुमानित महाविद्यालयों को आच्छादित कर उन्हें व्यवस्थित करने का लक्ष्य रखा गया था. इस अभियान के लिए फंड की व्यवस्था केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करती हैं.
इसके लिए मिलती है मदद
देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ-साथ झारखंड के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के आधारभूत संरचना और उनके नवीनीकरण के लिए राशि समय-समय पर रूसा की ओर से प्रदान की जाती है. झारखंड राज्य को रूसा की ओर से उच्चतर शिक्षा में आधारभूत संरचना के लिए कुल 244 करोड़ रुपये की राशि पिछले सत्र में आवंटित की गई थी. विश्वविद्यालय के 40 फीसदी कॉलेजों को रूसा की ओर से आवंटित राशि दी गई, जिससे कॉलेजों में निर्माण कार्य भी शुरू किया गया. जबकि अभी भी 60 फीसदी कॉलेजों में रूसा की ओर से अनुदान राशि नहीं दी जा सकी है. बताया जा रहा है ये कॉलेज रूसा के तहत फंड पाने के लिए जरूरी शर्त ही पूरी नहीं कर पा रहे हैं. इस मामले में उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालय के अधिकारियों की ओर से कोई पहल भी नहीं की गई है.
इन विश्वविद्यालयों को रूसा ने दी रकम
राज्य के सबसे पुराने विश्वविद्यालय रांची विश्वविद्यालय और इसी विश्वविद्यालय से अलग होकर बने नए विश्वविद्यालय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ करने के लिए रूसा की ओर से करोड़ों रुपये आवंटित किए गए हैं. ताकि इन दोनों विश्वविद्यालयों को राज्य भर में प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बनाया जा सके और इन दोनों विश्वविद्यालयों के इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ पठन-पाठन भी व्यवस्थित तरीके से हो.
इस कारण इन कॉलेजों को नहीं मिल सकी मदद
गौरतलब है कि रूसा उन्हीं कॉलेज और विश्वविद्यालयों को राशि प्रदान करता है, जिन संस्थानों की नैक ग्रेडिंग हो. इस ग्रेडिंग के साथ ही कॉलेज और विश्वविद्यालयों के वर्तमान कैंपस की जमीन और उस संस्थान के नाम से हो. रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत कांके स्थित एसएस मेमोरियल कॉलेज, कोकर के राम लखन सिंह यादव कॉलेज, धुर्वा के जेएन कॉलेज, खूंटी स्थित बिरसा कॉलेज के पास अपनी जमीन न होने से रूसा की ओर से इन कॉलेजों को राशि आवंटित नहीं किया गया है. इसी तर्ज पर राज्य के अन्य 7 विश्वविद्यालयों के कई कॉलेजों को भी रूसा राशि आवंटित नहीं कर रही है.
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विद्यार्थी भुगत रहे खमियाजा
बताते चलें कि झारखंड के लिए यह चिंता का विषय है कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालय और कॉलेज रूसा द्वारा दी जाने वाली राशि से वंचित हैं. 50 साल से ज्यादा समय से राज्य में स्थापित कॉलेज के कैंपस अधिकारियों की अनदेखी के कारण डेवलपमेंट के बाट जोह रहे हैं. अपनी जमीन नहीं होने के कारण ऐसे कॉलेजों को रूसा की ओर से कोई लाभ नहीं मिल रहा है. जिससे राज्य के अधिकतर कॉलेज को आधारभूत संरचना विकास के लिए मदद नहीं मिल पा रही है. बुनियादी सुविधा नहीं विकसित हो पाने का खमियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है.
सिर्फ इतने कॉलेज को फायदा
झारखंड के लगभग 70 कॉलेज रूसा के तहत पंजीकृत हैं. इनमें से 41 कॉलेजों ने रूसा के तहत मिलने वाली राशि के लिए बीते साल आवेदन किया था. रूसा की ओर से 25 कॉलेजों को उनके आधारभूत संरचना के विकास के लिए लगभग 250 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है. इसके तहत कई कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम चल रहा है. वही रांची विश्वविद्यालय और डीएसपीएमयू के विभिन्न निकाय में भवन निर्माण और पठन पाठन की व्यवस्था के लिए पहल की गई है.