रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के साथ शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की. इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के केंद्रीयकरण किए जाने से राज्य सरकारों के क्षेत्राधिकार का हनन होगा. पूरे देश के लिए एक ही कमेटी का गठन करने से कोई अतिरिक्त लाभ मिलने की संभावनाएं बहुत कम है.
स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन की शक्ति हटाने से राज्य सरकार को होगा नुकसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशन के तहत स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन की शक्ति को हटाने से राज्य सरकार को नुकसान होगा. सभी राज्यों के लिए रिन्यूएबल एनर्जी का पोटेंशियल और एडिशनल पावर क्षमता अलग-अलग होती है. ऐसे में इसे एसईआरसी के साथ बनाए रखा जाना चाहिए, क्योंकि एसईआरसी को डिस्प्यूट रिड्रेसल के लिए अलग अथॉरिटी के प्रस्ताव से भी नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि एसईआरसी इन सभी मामलों के लिए सक्षम है और केंद्रीयकृत अथॉरिटी से राज्यों की परेशानी बढ़ सकती है.
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कम दर पर गरीबों को मिले बिजली
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि वर्तमान में उपभोक्ताओं को सब्सिडी बिजली बिलों में कटौती के माध्यम से ट्रांसफर की जाती है. इसको भी आगे रखा जाना चाहिए. उनकी सरकार गरीबों के घरों में सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है. विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2020 में क्रॉस सब्सिडी के मूल्य का निर्धारण करने की शक्ति को स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी अथॉरिटी के साथ बनाए रखा जाए, ताकि घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं के टैरिफ का निर्धारण किया जा सके.
सीएम ने क्रॉस सब्सिडी इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के कार्य क्षेत्र से बाहर निकालकर नेशनल टैरिफ पॉलिसी के माध्यम से तय करने की प्रक्रिया पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि इससे राज्य सरकारों की शक्तियों का हनन होगा.
डीवीसी को बिजली नहीं काटने का निर्देश दें सीएम
इस बैठक में सीएम ने कहा कि डीवीसी बिजली कटौती नहीं करें. इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से निर्देश दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य के 7 जिलों में डीवीसी द्वारा बिजली की आपूर्ति की जाती है. बकाया का हवाला देकर बिजली की कटौती की जा रही है.
उन्होंने कहा जिन इलाकों में डीवीसी द्वारा बिजली दी जाती है, वहां ज्यादातर औद्योगिक क्षेत्र हैं. उन्होंने केंद्रीय मंत्री को इस बात से भी अवगत कराया कि उनकी सरकार ने इस साल मार्च महीने तक का बकाया डीवीसी को दे दिया है, जबकि जो पहले का बकाया है वह पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल का है. उन्होंने कहा कि 2014 में डीवीसी का बकाया शून्य था. ऐसे में केंद्र सरकार किसी को यह निर्देश दें कि वह झारखंड की बिजली नहीं काटें. राज्य सरकार बिजली की एवज में उसका भुगतान निश्चित करेगी.