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हिंदी दिवस के अवसर पर सीएम रघुवर दास ने की घोषणा, तीन महीने के अंदर हिंदी भवन का होगा शिलान्यास

झारखंड मंत्रालय के नए सभागार में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री रघुवर दास कार्यक्रम में पहुंचे. समारोह में उन्होंने हिंदी भाषा की अहमियत से लोगों को रूबरू करवाया और उन्हें ज्यादार हिंदी भाषा का प्रयोग करने के लिए जागरुक किया.

हिंदी दिवस के अवसर पर सीएम रघुवर दास ने की घोषणा

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Published : Sep 14, 2019, 11:28 PM IST

रांचीः राजधानी के प्रोजेक्ट भवन में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शिरकत की. इस समारोह में मुख्यमंत्री ने लोगों को अपनी राजभाषा भाषा हिंदी को आम बोलचाल की भाषा में ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करने का संदेश दिया. इसके साथ ही उन्होंने हिंदी भाषा का सम्मान करने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया.

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उन्होंने कहा कि स्वभाषा के माध्यम से भारत विश्वगुरु बन सकता है. स्वभाषा विकास का परिचायक है. यह भारत को स्वाभिमानी भारत बनने के मार्ग को प्रशस्त करेगी. किसी भी विकसित राष्ट्र के आगे बढ़ने का सबसे बड़ा कारण स्वभाषा होती है. मैं यह नहीं कहता कि अन्य भाषा का उपयोग न करें. आप उनका भी सम्मान करें, लेकिन मातृभाषा हिंदी को ज्यादातर प्रयोग करें. दूसरी ओर रघुवर दास ने समारोह में आयोजित विभिन्न हिंदी प्रतियोगिताओं के विजेता क्षात्रों को पुरूस्कार से सम्मानित किया.

तीन माह के अंदर हिंदी भवन का होगा शिलान्यास
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी प्रेमियों, साहित्यकार, रचनाकार, कवि को समर्पित हिंदी भवन का शिलान्यास तीन माह में होगा. देश भर से झारखंड आने वाले साहित्यकारों, रचनाकारों और कवियों को बातचीत, आयोजन और अन्य गतिविधियों के लिए एक उचित परिसर देना सरकार का उद्देश्य है. कार्मिक, प्रशासनिक राजभाषा विभाग अगले साल हिंदी दिवस का आयोजन संध्या बेला में मोरहाबादी मैदान में करें, जहां लोग कवि सम्मेलन का आनंद लें सकें और युवा कवियों को सरकार एक मंच देने में सफल हो सके.

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निजी क्षेत्र में हिंदी के उपयोग के लिए भेजा जाएगा अनुरोध पत्र
इस दौरान सीएम ने यह भी कहा कि वैश्वीकरण के बाद शिक्षा और स्वास्थ्य का बाजारीकरण हुआ, जिससे अंग्रेजी भाषा का प्रचलन बढ़ा है. यह स्वाभाविक भी था कि इस समय सरकारी स्कूलों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. राज्य सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का कार्य कर रही है. अब हम सभी को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है. कार्मिक, प्रशासनिक - राजभाषा विभाग एक अनुरोध पत्र सभी निजी संस्थानों को जारी करेगी, जिसमें यह स्पष्ट लिखा हो कि वे अपने पत्राचार समेत अन्य कार्यों में हिंदी को बढ़ावा देने का प्रयास करें.

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