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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सीएम हेमंत सोरेन का ताना, आदिवासी दिवस पर शुभकामना तक नहीं दीं

झारखंड में गहराया सियासी संकट संवैधानिक पदों की मर्यादा भी निगलने को आतुर है. आमतौर पर अब तक राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए राष्ट्रपति भवन में आसीन व्यक्ति को लकड़ी नहीं बनाई जाती थी. लेकिन अब सियासत ने कुर्सी के लिए इसमें भी डांड़ डाल दिया है कि यह मेरा और यह उनका. इसका दंश पिछले राष्ट्रपति को भी झेलना पड़ा था, अब नई राष्ट्रपति की शुरुआत भी इसी से हो गई है. कुछ दिन पहले राष्ट्रपति बनाए जाने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई देने वाले झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने लातेहार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी दिवस पर शुभकामना नहीं देने का ताना मारा है.

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पूर्व में द्रौपदी मुर्मू का अभिवादन करते सीएम हेमंत सोरेन

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Published : Aug 26, 2022, 7:34 PM IST

लातेहारः झारखंड में खुद को पत्थर खदान लीज आवंटित करने के मामले में भारत निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट राज्यपाल रमेश बैस को भेजे जाने के बाद से राजनीतिक संकट के आहट की खीझ शुक्रवार को सीएम हेमंत सोरेन की लातेहार जनसभा में दिखाई दी. इसका आंच रांची राजभवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंची. सीएम हेमंत सोरेन ने लातेहार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ताना मारा. लातेहार में जनसभा में सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी दिवस पर आदिवासी के नाम पर रायसीना हिल्स पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासियों को शुभकामना तक नहीं दी.

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नीचा देखने का आरोपः सीएम हेमंत सोरेन ने जनसभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आदिवासियों को शुभकामनाएं नहीं दी क्योंकि ये लोग आदिवासियों को ठीक नजर से नहीं देखते हैं. हमें संकल्प लेना है कि हमें बटना नहीं है, नहीं तो यह लोग हमें बांट करके खत्म कर देंगे. लातेहार में कार्यक्रम में पहुंचे हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसियां उन्हें फंसाने का काम कर रहीं हैं.

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सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में द्रोपदी मुर्मू को गठबंधन के विरोध के बाद भी आदिवासी होने के नाते समर्थन दिया था. उम्मीद थी की बहुत सारी जगहों पर बुआ भतीजे की मदद करेगी. लेकिन उन्होंने आदिवासी दिवस पर झारखंड के लोगों को शुभकामनाएं तक नहीं दीं.

मंच पर टीसःजांच एजेंसियों की जद में उलझे हेमंत सोरेन ने किसी तरह की मदद नहीं पाने पर आज लातेहार के मंच से जमकर प्रहार किया. हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी दिवस पर न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न ही राष्ट्रपति ने आदिवासियों को बधाई दी. देश की राजनीति में दिखाने के लिए इनका चेहरा कुछ और होता है और वास्तविकता में कुछ और.

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पहले नहीं दी थी प्रतिक्रियाःसीएम हेमंत सोरेन ने लातेहार जनसभा में कहा कि आदिवासी समाज के लोगों को उन्होंने शुभकामनाएं तक नहीं दी और ऐसा कर राष्ट्रपति ने यह साबित किया कि हम आदिवासियों को नीचा समझा जाता है. हेमंत सोरेन की नाराजगी संभवतः आदिवासी समाज और आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू द्वारा बधाई नहीं दिए जाने से ज्यादा जिस तरीके की परेशानी में हेमंत सोरेन फंसे हैं उसके लिए समर्थन न मिल पाने की है. क्योंकि आदिवासी दिवस पर जब शुभकामना नहीं आई थी तब से लेकर अभी तक हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी थी.

सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासियों का मजाक बनाया जा रहा है. अगर आदिवासी एकजुटता नहीं रही तो आदिवासी समाज ही मजाक बनकर रह जाएगा. यह कहीं न कहीं हेमंत सोरेन का दर्द है, जो बुआ से मदद चाह रहे थे, संभवतः नहीं मिला. इससे बुआ और भतीजे के रिश्ते में कहीं न कहीं खटास बना हुआ है.

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