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AISJF के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में बोले सीएम हेमंत सोरेन- अमृत काल में हम लड़ रहे सामाजिक न्याय की लड़ाई

नई दिल्ली में ऑल इंडिया सोशल जस्टिस फेडरेशन का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने अपने विचार रखे, उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला.

CM Hemant Soren statement
CM Hemant Soren statement

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Published : Apr 4, 2023, 9:37 AM IST

AISJF के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन

नई दिल्लीः अखिल भारतीय सामाजिक न्याय महासंघ का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में यह सम्मेलन हुआ. इस मौके पर देश के तमाम विपक्षी दलों के शीर्ष नेता शामिल हुए. राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम ने मौजूदा मोदी सरकार की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि फिलहाल देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है.

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इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि देश को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन हम आज भी सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहे हैं. एक तरफ देश को अमृतकाल और विश्वगुरू कहा जा रहा है. फिर भी हम सामािक न्याय मांग रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीति और फैसलों की वजह से लोकतंत्र खतरे में हैं. सभी वर्गों के हक की रक्षा के लिए हमें एक मंच पर आकर संघर्ष करना पड़ रहा है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जब में सामाजिक न्याय की लड़ाई को देखता हूं तो मुझे पिता शिबू सोरेन के संघर्ष की याद आ जाती है. उन्होंने कहा कि आज हम अपने आपको अंग्रेजों के काल की जगह खड़े देख रहे हैं, जहां हमारे पूर्वजों ने संघर्ष की शुरुआत की थी. ठीक उसी तरह आज अपने अधिकार के लिए लड़ना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थिति आगामी पीढ़ी के लिए चिंता बढ़ाती है. देश की अर्थव्यवस्था की हालत बदतर होती जा रही है. देश के हर वर्ग को पीछे ढकेला जा रहा है. रोजगार मिल नहीं रहे हैं.

हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है, लेकिन वर्तमान में यहां के किसानों की हालत काफी दयनीय है. देश के किसान अपने हक के लिए दिल्ली में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. उनके साथ क्या हुआ, इसे पूरे देश ने देखा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि नौकरी देने वाले संस्थानों को बेचा जा रहा है. देश के लोग आज पीडीएस के अनाज पर निर्भर होने को मजबूर हो रहे हैं. हेमंत सोरेन ने कहा कि देश में आज फूट डालो और राज करो की स्थिति बनी है जो अच्छी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि आज देश में 'ना काम करूंगा ना करने दूंगा' की राजनीति हो रही है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में पिछली सरकार ने बड़ी चतुराई से ओबीसी रिजर्वेशन को घटाने का काम किया था. राज्य में हमारी सरकार बनते ही हमने आरक्षण नियमावली में कुछ बदलाव करते हुए ओबीसी आरक्षण को 27% करने हेतु नौवीं अनुसूची में जोड़ने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन उस प्रस्ताव को झारखंड के तत्कालीन माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा वापस कर दिया गया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक में भी कुछ इसी तरह के फैसले लिए गए, जिसे वहां के माननीय राज्यपाल ने अपनी सहमति दी थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब रोजगार देने वाली संस्थाएं बिक जाएंगी तो फिर रिजर्वेशन किसी काम का होगा ही नहीं. हमारे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में अलग-अलग तरह से भेदभाव किया जा रहा है, यही वजह है कि आज सोशल जस्टिस को लेकर हम लोगों को एक मंच में आकर चर्चा करनी पड़ रही है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इससे पहले भी दिशोम गुरु शिबू सोरेन, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव आदि देश के कई दिग्गज नेताओं ने मिलकर लोकतांत्रिक मोर्चा का गठन किया था और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि वर्तमान समय में देश में जिस तरह से संवैधानिक ताकतों का दुरुपयोग हो रहा है यह आने वाली पीढ़ी के लिए चिंतनीय है. देश में अमीरी-गरीबी की खाई जब तक कम नहीं होगी, तब तक सामाज का हर कार्य बाधित रहेगा. सामाजिक न्याय के लिए एक मंच पर आकर हम सभी लोगों को लड़ना और संघर्ष करना होगा. आज हालात ऐसे हो गए हैं कि जब कोई सामाजिक न्याय की बात बोलता है लोगों को जागरूक करता है तो उसे जेल की हवा खानी पड़ती है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज हमारी सरकार झारखंड में यूनिवर्सल पेंशन योजना लागू की है. यहां के एसटी/एससी सहित सभी समुदायों के बच्चों को विदेशों में पढ़ाई करने के लिए एक 100% छात्रवृति दी जा रही है. आज हम झारखंड के छात्र-छात्राओं को इंजीनियरिंग, मेडिकल, जुडिशल, पत्रकारिता आदि की पढ़ाई करने के लिए भी शत-प्रतिशत स्कॉलरशिप दे रहे हैं. झारखंड में स्थापित इंडस्ट्रीज और अन्य निजी संस्थानों में भी 75% नौकरी झारखंड के लोगों को मिले इसके लिए भी नियम बनाए गए हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जब कभी सोशल जस्टिस की बात आती है तो सबसे पहले गरीब, वंचित, शोषित का चेहरा सामने आता है. हमारी सरकार यहां के आदिवासी, मूलवासी, बैकवर्ड क्लास, माइनॉरिटी एवं महिला वर्ग के लोगों को जिन्हें अनगिनत समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उसके साथ सोशल जस्टिस कैसे किया जाए यही हमारी सोच.

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