रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) चाहते हैं कि झारखंड के लोग खुद मुफ्त में मिलने वाले अनाज के लिए जारी राशन कार्ड को फाड़कर फेंक दें. अब सवाल है कि उन्होंने ऐसी बात क्यों कही. दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची के आर्यभट्ट सभागार में स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनीं दीदियों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज राशन कार्ड पर ग्रामीणों की जीविका चल रही है. अगर सरकार मुफ्त में राशन न दे तो भूखो मरने की नौबत आ जाएगी. यह सुनकर बहुत तकलीफ होती है. लिहाजा, वह चाहते हैं कि झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy of Jharkhand) इतनी मजबूत हो जाए कि लोगों को राशन कार्ड की जरूरत ही न पड़े. लोग खुद राशन कार्ड फाड़कर फेंक दें.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिज संपन्न होने बावजूद जितना पिछड़ापन यहां है, वैसी स्थिति शायद ही देश में कहीं होगी. यहां के लोगों को खनिज संपदाओं से कोई लेना देना नहीं है. यहां के खनिज का लाभ उद्योगपतियों और देश को तो प्राप्त होता है लेकिन यहां के लोगों को उसका लाभ नहीं मिलता. हमने अपनी परंपराओं पर आधारित योजनाएं शुरू की. इस राज्य में लगभग 40 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे कुपोषित पैदा होते हैं. महिलाएं खून की कमी की शिकार हैं. यह पहले नहीं होता था. हाल के वक्त से ये समस्याएं आई हैं. इन समस्याओं से निपटने के लिए अपने बुजुर्गों के दिखाए रास्ते पर चलना होगा. पशुधन के महत्व को समझना होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत जल्द एक ऐसी योजना शुरू होने जा रही है, जिसके लिए व्यापक स्तर पर अंडे की जरूरत होगी. उन्होंने आह्वान किया कि गांवों के लोग मुर्गियां पालें. सरकार उनसे अंडे खरीदेगी. उन्होंने जेएसएलपीएस और महिला समूहों के साथ मिलकर काम करने में सहयोग करने की अपील की.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी हमारे घर पर बुढ़े बुजुर्ग हैं. उनकी उम्र 90 साल से ज्यादा है. वो आज भी चलते फिरते हैं. खेतों में जाते हैं. अगर उनको बीमारी होती तो शायद वे इतनी उम्र तक नहीं जिंदा होते. लेकिन अब तो 50-60 की उम्र में ही लोगों को जीवन त्यागना पड़ जाता है. हमारे बुजुर्गों के पास पशुधन के रूप में संपत्ति हुआ करती थी. हमारे बुजुर्गों ने उसको बखूबी इस्तेमाल किया. मेरी उम्र भी अब 45 पार हो रही है. उन झलकियों को बचपन में देखने को मिला. गांव में जब जानवर घरों से निकलते थे तो वहां खड़ा होने की जगह नहीं मिलती थी. शाम को जब पशु लौटते थे तो गांव की गलियां जानवरों के कदमताल से गूंजती थी. अब गांवों में न गाय मिलेगी, न बकरी और न मुर्गी. जब घर में दूध होगा, अंडा, मांस होगा तो कुपोषण क्यों होगा. इसलिए हमने पशुधन योजना शुरू की है. इसके जरिए ग्रामीण जानवर पालें. जानवरों को रखने के लिए भी योजना शुरू की है. बड़े पैमाने पर अनुदान दिया जा रहा है. महिला दीदियों को बिरसा हरित ग्राम योजना दी है. दीदी बाड़ी योजना शुरू की है. झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी तभी राज्य की अर्थव्यवस्ता मजबूत होगी. आज जो अर्थव्यवस्था देख रहे हैं वो फूला हुआ गुब्बारा है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार बनते ही वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई करनी पड़ी. इस दौरान हमने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती पर फोकस किया. सभी पंचायतों में पदाधिकारियों को भेजकर ग्रामीणों की समस्या के समाधान और उनके हक और अधिकार की जानकारी दी. दूसरे चरण में आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के जरिए पंचायतों में अभियान चलाकर लोगों को योजनाओं का लाभ दिया.