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ईटीवी भारत की खबर पर सीएम हेमंत सोरेन ने लिया संज्ञान, विदेश मंत्री से श्रमिकों को वापस लाने का आग्रह

श्रीलंका में फंसे झारखंड के 19 मजदूरों की गुहार को ईटीवी भारत ने हुक्मरानों तक पहुंचाया तो सोमवार को सीएम हेमंत सोरेन ने खबर पर संज्ञान लिया. सीएम हेमंत सोरेन ने ईटीवी भारत की खबर को ट्वीट कर विदेश मंत्री से मजदूरों को वापस बुलाने में मदद का आग्रह किया है.

cm hemant soren
सीएम हेमंत सोरेन

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Published : May 2, 2022, 3:24 PM IST

रांचीःश्रीलंका में फंसे झारखंड के 19 मजदूरों की गुहार ने हुक्मरानों को जगा दिया है. ईटीवी भारत में प्रकाशित परदेस गए गिरिडीह, धनबाद और हजारीबाग के मजदूरों की पीड़ा पर अब सीएम हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने ट्विटर हैंडल से ईटीवी भारत की खबर को ट्वीट कर विदेश मंत्री एस जयशंकर से उन्हें झारखंड लाने में मदद करने का आग्रह किया है.

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दरअसल, काम के लिए गिरिडीह, धनबाद और हजारीबाग के मजदूर श्रीलंका गए थे. यहां ये कल्पतरू ट्रांसमिशन कंपनी में काम कर रहे थे. मजदूरों का आरोप है कि कंपनी तीन महीने वेतन नहीं दे रही है. इनका कंपनी ने पासपोर्ट भी जब्त कर लिया है. इधर वेतन न मिलने से मजदूर परदेस में भोजन के लिए भी मोहताज हो गए हैं. इससे यहां फंसे मजदूरों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खुद को श्रीलंका से वापस लाने के लिए झारखंड सरकार से अपील की थी.

इस खबर को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित कर मुख्यमंंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड के आला हुक्मरानों का ध्यान खींचा था. अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस खबर पर संज्ञान लिया है. सीएम हेमंत सोरेन ने ईटीवी भारत की खबर को श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता, झारखंड माइग्रेंट सेल आदि को टैग करते हुए ट्वीट किया है. इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर से इन मजदूरों की स्वदेश वापसी में मदद करने का आग्रह किया है.

श्री लंका में फंसे झारखंड के मजदूर

बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब दलालों के चक्कर में पड़कर गरीब विदेशों में जाकर फंस जाते हैं. पूर्व में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं. पिछले गुरुवार को मलेशिया में फंसे झारखंड के 30 मजदूरों में से 10 मजदूरों की वापसी हुई है. जबकि 20 मजदूर अभी भी मलेशिया में ही हैं. इस मामले में भी ब्रोकर ने इन मजदूरों को ज्यादा पैसे कमाने का लालच देकर कल्पतरू ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा श्रीलंका पहुंचाया था. लेकिन जब वहां काफी कम मेहनताने पर काम कराया जाने लगा तो मजदूर ठगा महसूस करने लगे और वापसी की गुहार लगा रहे हैं.

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