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रांची का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स बांट रहा बीमारी! यहां का पानी पीने से मौत का खतरा

स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भले ही ये दावा करते हैं कि वे राज्य में लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सच्चाई से है कि वे मरीजों को साफ पानी भी मुहैया नहीं करा रहे हैं, दवा और इलाज तो बाद की बात है. आप इस बात का अंजादा लगाइए कि जब रांची में झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में ही मरीजों और तीमारदारों को साफ पानी तक नहीं मिल पा रहा है तो दवाओं और डॉक्टरों का क्या आलम होगा और जब राजधानी रांची में ये हाल है तो फिर राज्य के दूसरे कोने में क्या स्थिति होगी?

drinking water is not available in rims
drinking water is not available in rims

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Published : Jul 8, 2023, 3:07 PM IST

जानकारी देते संवाददाता हितेश

रांची:राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में लापरवाही का आलम ये है कि यहां पीने के लिए साफ पानी तक नहीं है. पिछले कई महीनों से मरीज पानी के लिए परेशान हो रहे हैं, लेकिन रिम्स प्रबंधन अभी तक पानी के इंतजाम को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है. पानी के लिए मरीज के परिजनों को लगभग एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. यहां भी उन्हें लाइन लगानी पड़ती है तब जाकर पानी नसीब होता है.

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आम तौर पर जब कोई बीमार होता है तो वह काफी परेशान हो जाता है. उसे अपना इलाज कराना होता है. ऐसे में वे उम्मीद लेकर रांची के रिम्स पहुंचते हैं. लेकिन यहां के जो हालात हैं वे मरीजों की परेशानी को कम करने की बजाय कई गुणा बढ़ा देते हैं. उन्हें ये भी डर लगता है कि इस अस्पताल में आने के बाद कहीं वे और ज्यादा बीमार ना हो जाएं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अस्पताल के वार्डों में पानी के लिए जो वाटर फिल्टर लगाए गए हैं, उससे निकलने वाले पानी का रंग पीला होता है, जाहिर है कि पानी बेहद गंदा होता है और पीने लायक नहीं होता. अगर गलती से भी इस पानी को कोई पी लेता है तो उसे खांसी होने लगती है, इसलिए डर से मरीज अपने परिजन को वार्ड का पानी नहीं पिलाते हैं.

हाथ में गंदा पानी लिए तीमारदार
साफ पानी लेने के लिए जाना पड़ता है एक किलोमीटर दूर: बदहाली इतनी है कि झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों को पानी लेने के लिए अस्पताल से करीब एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. वहां सप्लाई के पानी का इंतजार करना पड़ता है और लाइन लगाकर पानी लेना पड़ता है. कई बार अत्यधिक भीड़ होने की वजह से मरीज के परिजनों को पानी भी नहीं मिल पाता है.
पीआरओ का बयान

सीमित समय तक मिलता है पानी:सप्लाई का पानीसुबह 6:00 से 7 बजे और शाम में 5:00 बजे से 6 बजे तक ही मिलता है. ऐसे में समय होते ही लोग पानी लेने के लिए अपने बर्तन लेकर खड़े हो जाते हैं.

रिम्स पहुंचने वाले ज्यादातर मरीज होते हैं गरीब: बता दें कि रिम्स में ज्यादातर वैसे मरीज आते हैं जो अत्यधिक गरीब होते हैं, ऐसे में उनके लिए बाहर के दुकानों से पानी खरीदकर पीना संभव नहीं हो पाता है. इसलिए मरीज के परिजन अपने मरीज को अकेले छोड़कर पानी भरने के लिए पहुंचते हैं. पानी लेने पहुंचे मरीज के परिजनों ने बताया कि वह अपने मरीज को अकेला छोड़कर पानी के लिए घंटों बाहर रहते हैं. यहां आने-जाने में करीब एक घंटे का वक्त लगता है, इसके अलावा पानी के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़ता है. रिम्स अस्पताल में लोग इस उम्मीद के साथ आते हैं कि उन्हें बेहतर दवा और अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी लेकिन विभाग के कुशासन से रिम्स में साफ पानी तक उपलब्ध नहीं हो पाता.

ईटीवी भारत की टीम ने जब मरीजों की परेशानी को देखते हुए प्रबंधन से बात की तो प्रबंधन की तरफ से जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन ने इस बात को माना कि पानी गंदा आता है. उन्होंने बताया कि मरीजों की परेशानी को कम करने के लिए पीएचडी और नगर निगम से बात की गई है. जल्द ही रिम्स के विभिन्न हिस्सों में पानी के लिए बेहतर व्यवस्था का इंतजाम कराया जाएगा. जिससे रिम्स के मरीजों को पीने के लिए स्वच्छ एवं निर्मल जल मिल सके.

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