रांची: 2022 में झारखंड की राजनीति में सरकार बनाम राजभवन की चर्चा खूब रही (Clash between Raj Bhavan and government in 2022). 29 दिसंबर को हेमंत सरकार अपने कार्यकाल का तीसरा साल पूरा करने जा रही है. ऐसे में यह बात भी खूब चर्चा में है कि झारखंड की राजनीति में जिस तरह के हालात 2022 में रहे इससे पहले इस तरह की बात नहीं रही है. हेमंत सोरेन को लेकर निर्वाचन आयोग के पत्र की बात हो या फिर झारखंड में बम फोड़ने का बयान, राजभवन और हेमंत सरकार में पूरे साल नूरा कुश्ती चलती रही. ऐसा शायद पहली बार हुआ और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ऐसे पहले सीएम रहे जो राजभवन से अपने ऊपर लगे आरोप की चिट्ठी मांगने पहुंच गए. यह सारी सियासत की कहानी 22 में लिखी गई जो हेमंत सरकार के तीसरे साल के सफरनामे के साथ जुड़ा है.
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हेमंत कहा पत्र दीजिए: 15 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अचानक राजभवन पहुंचे और राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजभवन में करीब 40 मिनट तक समय बिताया. राज्यपाल से हुए मुलाकात में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यपाल रमेश बैस को एक पत्र सौंपा. इसमे उन्होंने कहा कि पिछले 3 सप्ताह से राज्य में जो राजनीति की स्थिति बनी हुई है. बीजेपी यह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने की अनुशंसा निर्वाचन आयोग द्वारा की गई है. इस पत्र को कृपया सार्वजनिक करें ताकि राज्य में बनी राजनीतिक अस्थिरता को खत्म किया जा सके. राज्यपाल को सौंपी गई चिट्ठी (CM Hemant Soren meet Governor Ramesh bais) राज्यपाल को सौंपी गई चिट्ठी हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम पत्थर खदान लीज पर ली थी. बीजेपी ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी. राज्यपाल ने इसे चुनाव आयोग के पास भेज कर उनका मंतव्य मांगा था.
राज्यपाल ने कहा चिट्ठी चिपक गई है: निर्वाचन आयोग से राजभवन को आए पत्र को लेकर पूरे सूबे की राजनीति 2 महीने से ज्यादा उहापोह में रही. झारखंड की राजनीति में पौने दो महीने के बाद भी लाख टके का सवाल यही रहा कि चुनाव आयोग ने सीलबंद लिफाफे में अपना जो मंतव्य राजभवन को भेजा था, उसका मजमून क्या है? सवाल यह भी कि चुनाव आयोग के मंतव्य पर राज्यपाल का फैसला क्या होगा और कब होगा? यही सवाल पत्रकारों ने राज्यपाल से दो बार पूछा. पहली बार राज्यपाल ने हल्के-फुल्के अंदाज में सवाल टालते हुए कहा कि चुनाव आयोग से जो लिफाफा आया है, वह इतनी जोर से चिपका है कि खुल ही नहीं रहा. दूसरी बार उन्होंने पत्रकारों के इस सवाल पर कहा कि यह उनका अधिकार क्षेत्र है कि वह चुनाव आयोग के मंतव्य पर कब और क्या निर्णय लेंगे? उनके अधिकार पर किसी को सवाल नहीं उठाना चाहिए.