रांची: झारखंड में दूरदराज के दुर्गम स्थानों में फायदा उठाने वाले झोला छाप डॉक्टरों (Fake doctors in Jharkhand) पर राज्य सरकार ने अब गाज गिराने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य के सभी सिविल सर्जनों ने अपने-अपने जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारियों को अपने क्षेत्र के झोला छाप डॉक्टरों की पूरी लिस्ट भेजने का आदेश दिया है. रांची के सिविल सर्जन (Ranchi Civil surgeon) ने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद सभी की जांच कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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राज्य में 900 से अधिक झोला छाप डॉक्टर्स होने की संभावना:राज्य में अभी तक झोला छाप डॉक्टरों की कुल संख्या कितनी है, इसकी कोई अधिकृत और अपडेट जानकारी उपलब्ध नहीं है. 2018 में झारखंड आईएमए ने एक डेटा तैयार किया था, जिसके अनुसार 550 के करीब झोला छाप डॉक्टर इस राज्य में हैं. अनुमान है कि आज की तारीख में यह संख्या बढ़कर 900 के पार हो गई होगी. अब जब इनकी सूची स्वास्थ्य मुख्यालय को उपलब्ध होगी तो रांची और राज्य में झोला छाप डॉक्टरों की निश्चित संख्या की जानकारी मिल सकेगी.
रांची के सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार
NHRC के चेयरमैन ने झोला छाप डॉक्टरों को बताया था खतरा: मालूम हो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC National Human Rights Commission) के चेयरमैन जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा ने पिछले दिनों अपने झारखंड दौरे के दौरान राज्य में झोला छाप और फर्जी डॉक्टरों को स्वास्थ्य के लिए खतरा बताते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. उसके बाद से स्वास्थ्य महकमा फर्जी और झोला छाप डॉक्टरों की पहचान और सूची बनाने में लग गया है.
डॉक्टरों की घोर कमी और बेपटरी स्वास्थ्य व्यवस्था का फायदा उठाते हैं झोला छाप:दरअसल,झारखंड में डॉक्टरों की घोर कमी है, यही कारण है कि झोला छाप डॉक्टरों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है. राज्य में डॉक्टरों के सृजित पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं. ऐसे में राज्य के लचर स्वास्थ्य व्यवस्था का फायदा ये फर्जी डॉक्टर उठाते हैं. हालांकि, अभी इन झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर विभाग रेस है.