रांची:साइबर अपराधियों के लिए सिम कार्ड किसी भी ठगी को अंजाम देने वाला सबसे बड़ा हथियार है. इसी के माध्यम से साइबर अपराधी बड़ी बड़ी ठगी को अंजाम देते हैं. नए साल में सीआईडी की साइबर टीम फर्जी सिम नेटर्वक के खिलाफ बड़ी करवाई की तैयारी में है ताकि उनपर नकेल कसा जा सके (CID team engaged in breaking fake sim network).
फर्जी सिम नेटवर्क को ब्रेक करने में जुटी साइबर टीम, सीआईडी ने सभी जिलों से मांगी रिपोर्ट
साइबर क्राइम पर नकेल कसने के लिए पुलिस पूरी तैयारी कर रही है (CID team engaged in breaking fake sim network). इसके लिए पुलिस की साइबर टीम फर्जी सिम नेटवर्क को ब्रेक करने में जुटी हुई है. सीआईडी ने सभी जिलों से रिपोर्ट भी मांगी है, ताकि लगातार बढ़ रहे साइबर क्राइम पर नकेल लगाया सके और अपराधियों को गिरफ्तार किया जा सके.
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सभी एसपी से मांगे गए आंकड़े:झारखंड में फर्जी सिम की खरीद से साइबर अपराध की गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है, वहीं आपराधिक गिरोह के द्वारा ही फर्जी कागजातों के आधार पर खरीदे गए सिम के इस्तेमाल की बात सामने आयी हैं. ऐसे में सीआईडी के द्वारा फर्जी तरीके से जारी सिम पर नकेल की तैयारी है. राज्य सीआईडी मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी से साल 2021 से 2022 तक ऐसे मामलों में दर्ज केस की जानकारी मांगी है, जिनमे फर्जी सिम का इस्तेमाल किया गया हो. सीआईडी ने थाना के नाम, कांड संख्या, अभियुक्तों की जानकारी, फर्जी सिम का मोबाइल नंबर, कैफ धारक के नाम - पता का विवरण और मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी की डिटेल मांगी है. सारी जानकारी मिलने के बाद सीआईडी मॉड्स का पता लगाकर इस संबंध में आगे की कार्रवाई करेगी. सीआईडी की रिसर्च विंग भी इन मामलों को लेकर अध्यन करेगी.
राज्य में सक्रिय है एक दर्जन गिरोह:सीआईडी की जांच में यह बात सामने आई है कि राज्य में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जो अलग-अलग राज्यों से सिम कार्ड लेकर साइबर अपराधियों तक पहुंचाते हैं. साइबर पुलिस नए साल में नए तरीके तरीको से गिरोह पर नजर रख रही है, ताकि फर्जी सिम साइबर अपराधियों तक न पहुंच सके.
फर्जी आईडी पर सिम और फर्जी होते हैं बैंक खाते:साइबर ठगी करने वालों की तैयारी बहुत ही पुख्ता होती है, जिस नंबर से फोन किया जाता है वह गैंग द्वारा तैयार किये गये फर्जी आईडी पर पश्चिम बंगाल व अन्य राज्यों सिम लिया गया होता है. इसलिए नंबर ट्रेस होने के बाद भी कोई पकड़ में नहीं आता है. ये साइबर अपराधी सुदूर इलाके में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाकर कॉल करते हैं, जिन बैंक एकाउंट में पैसा मंगाया जाता है. वह भी फर्जी नाम और पते पर हरियाणा व अन्य राज्यों में खोला जाता है, पैसा खाते में आते ही उसे निकाल लिया जाता है.
मृतकों या ग्रामीणों के नाम पर निकाले जाते हैं सिम:राज्य पुलिस में साइबर अपराध के अधिकांश मामलों में प्रयुक्त सिम कार्ड को गलत तरीके से सिम प्रोवाइडर कंपनियों से जारी कराया जाता है. जांच में यह तथ्य भी आया है कि जामताड़ा, देवघर समेत कई जिलों में साइबर अपराधी अधिकांश सिमकार्ड किसी मृत या दूर इलाके में रहने वाले ग्रामीण के नाम पर इश्यू करा लेते हैं, अधिकांश मामलों में गलत पेपर देकर सिम इश्यू कराए जाते हैं.
क्या उपाय निकाल रही पुलिस:राज्य पुलिस के द्वारा यह उपाय निकाला जा रहा है कि पुलिस अब सिम गायब होने का सन्हा सिर्फ न दर्ज करे, बल्कि मोबाइल चोरी और उसके साथ सिम लगे होने के मामले दर्ज किए जाएं, ताकि सिम गायब होने की फर्जी शिकायत कर कोई दूबारा उसी सिम कार्ड से आपराधिक वारदात को अंजाम न दे.