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Published : Apr 22, 2022, 3:33 PM IST

Updated : Apr 22, 2022, 5:10 PM IST

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वाह रे व्यवस्था! सरकारी स्कूल में किताब कॉपी पेंसिल की जगह बच्चों के हाथों में झाड़ू

झारखंड में शिक्षा व्यवस्था की हालत किसी से छुपी नहीं है. प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय है. पढ़ाई लिखाई के स्तर की क्या कहिए, आलम ये है कि रांची के सरकारी स्कूल में बच्चे क्लास रूम की सफाई करते हैं. किताब कॉपी पेंसिल की जगह बच्चों के हाथों में झाड़ू, वाह रे व्यवस्था!

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रांचीः झारखंड सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत बदतर है. हाल ही में इसका एक नजारा राजधानी रांची के सरकारी स्कूल में देखने को मिला. जहां हर दिन स्कूल शुरू होने से पहले नौनिहाल खुद हाथों में झाड़ू लेकर साफ सफाई करते हैं. एक से डेढ़ घंटा तक इन विद्यार्थियों का सफाई अभियान जारी रहता है.

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लाख दावा के बावजूद झारखंड के सरकारी स्कूलों की हालत काफी दयनीय है. एक तरफ राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर कई घोषणाएं करती है. लगातार शिक्षा मंत्री के अलावा शिक्षा पदाधिकारियों की ओर से व्यवस्थाओं को सुधारने को लेकर बयान दिया जाता है. लेकिन धरातल पर कुछ और ही दिखता है. राजधानी रांची के बीचों-बीच स्थित एक स्कूल में बच्चे हर रोज हाथों में झाड़ू लेकर सफाई अभियान में जुट जाते हैं. सुबह सुबह जब बच्चे स्कूल पहुंचते हैं, उनका पहला काम होता है स्कूल प्रांगण के साथ-साथ क्लासरूम की पूरी सफाई करना.

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जरा इन तस्वीरों को आप देखिए. इन नन्हे बच्चों के हाथों में जिस वक्त कलम कॉपी पेंसिल किताब होनी चाहिए उस वक्त बच्चों के हाथों में झाड़ू लेकर क्लास रूम की सफाई करते दिख रहे हैं. वहीं बेंच की साफ-सफाई भी इन्हीं बच्चों के जिम्मे हैं. इस माध्यमिक सरकारी विद्यालय में सफाई कर्मचारी का इंतजाम नहीं है. लिहाजा यहां विद्यार्थी खुद रोजाना सफाई करने को मजबूर हैं. बच्चे हर दिन स्कूल आने के बाद अपनी कक्षाओं में झाड़ू लगाते हैं और यह इनकी दिनचर्या में शुमार है.

झाड़ू लगाती बच्ची
हर साल प्रदेश में सरकार लाखों का बजट स्कूली शिक्षा पर खर्च करती है. किताबें, स्कूल यूनिफॉर्म से लेकर मध्यान्न भोजन और साइकिल तक बच्चों को प्रदान करने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन अभी भी प्रदेश के कई सरकारी स्कूलों की हालत दयनीय है. एक सफाई कर्मचारी भी बमुश्किल इन स्कूलों में नहीं रखी गई है. मध्यान्न भोजन बनाने वाली रसोइया महिला कर्मचारी प्रिंसिपल के कमरे को तो चकाचक साफ सफाई करती हैं. लेकिन इन बच्चों की तरफ ध्यान किसी का भी नहीं है. मजबूरन बच्चों को ही अपने विद्यालय को साफ रखना पड़ता है और यह बच्चे करें भी तो करें क्या अब इस मैडम को ही आप देख ले यह इस स्कूल के मिड डे मील बनाने की व्यवस्था से जुड़ी हैं.
क्लास रूम में गंदगी

लेकिन मैडम हर दिन प्रिंसिपल के कमरे को जरूर साफ सफाई करती हैं, बाकी काम बच्चों के भरोसे हैं. बच्चे प्रत्येक दिन स्कूल आते हैं इनका सबसे पहला काम प्रार्थना करना नहीं है बल्कि तमाम क्लास रूम का साफ-सफाई करना है, झाड़ू लगाना रहता है. बच्चे करे भी तो क्या करें गंदगी में बैठकर पढ़ाई कैसे करें और इसीलिए इन्हें झाड़ू उठाना पड़ता है. मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने संबंधित अधिकारी से भी बातचीत की है. लेकिन इन सबको लेकर उनकी अपनी दलील देते नजर आते हैं.

क्लास रूम की सफाई करती छात्रा
बच्चों की मानें तो हर दिन स्कूलों में गंदगी पसरा रहता है उन्हें साफ करना मजबूरी है आखिर साफ सफाई करने के बाद ही को सही तरीके से पठन-पाठन कर पाते हैं. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से एक योजना के तहत बच्चों को स्वच्छ भारत अभियान के साथ जोड़ा जा रहा है. इसी कड़ी में विभिन्न स्कूलों में बच्चों के बीच ही प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, सफाई मंत्री और अन्य मंत्रालय बांटे गए हैं. लेकिन इस योजना का मतलब यह नहीं है कि बच्चे रोजाना स्कूल आकर सबसे पहले क्लास रूम की साफ-सफाई झाड़ू उठाकर करें. इस और राज्य सरकार को जल्द से जल्द ध्यान देने की जरूरत है नहीं तो यह व्यवस्था वाकई में शिक्षा व्यवस्था की लगातार मुंह चिढ़ाएगी.
Last Updated : Apr 22, 2022, 5:10 PM IST

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