रांची: रांची के डूमरदगा स्थित बाल सुधार गृह की रक्षा करने वाले सुरक्षाकर्मी अब बाल बंदियों को शिक्षित भी करेंगे. बाल सुधार गृह में जिला बल के साथ अब सैफ की भी तैनाती होगी. अब इन्हीं जवानों के कंधे पर बाल सुधार गृह में बंद किशोरों को शिक्षित करने का भी जिम्मा दिया गया है. सैफ के कमांडेंट कर्नल जेके सिंह की अगुआई में यह नई शुरुआत की गई है.
Commendable Initiative In Jharkhand: रांची के बाल सुधार गृह में बंद किशोरों को दिया जा रहा शिक्षा का दान, हर दिन स्कूल की तरह लग रही क्लास
रांची के बाल सुधार गृह में इन दिनों शिक्षा की बयार बह रही है. बाल सुधार गृह में बंद किशोरों को सुरक्षाकर्मी शिक्षित कर रहे हैं. प्रत्येक दिन बाल सुधार गृह में क्लास लगती है, जहां किशोरों को शिक्षा का दान दिया जा रहा है, ताकि वह पढ़-लिख कर अच्छाई और बुराई के बीच के फर्क को समझ सकें और बाल सुधार गृह से बाहर निकलने के बाद जिम्मेदार नागरिक बन सकें.
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शिक्षा को बनाना है हथियार: अपराध की दुनिया बेहद काली है. एक बार जो इस दुनिया में कदम रख दे उसका वापस आना बेहद मुश्किल होता है. अपराधी चाहे किसी भी उम्र के हों, जब जेल की सलाखों के पीछे वह पहुंचता है तो भविष्य के उसके सारे सपने दम तोड़ देते हैं. उसकी सारी उम्मीदें हवा हो जाती हैं और भविष्य का सामना करने के नाम पर उसके शरीर में सिहरन पैदा हो जाती है. जुर्म की शुरुआत अगर बालपन अवस्था में हुई तो मुश्किलें और ज्यादा हावी हो जाती हैं, लेकिन अगर आप अपराध की दुनिया से निकलना चाहते हैं तो उसमें शिक्षा एक अहम योगदान देगा. कुछ ऐसी ही कोशिश बाल सुधार गृह में की जा रही है. रांची के बाल सुधार गृह में अब शिक्षा की बयार बह रही है. सभी बाल बंदियों को बेहतर शिक्षा देने की शुरुआत कर दी गई है. इसके लिए सुरक्षाकर्मियों को ही जिम्मेदारी दी गई हैं.
कॉपी-किताब भी करायी गई उपलब्ध: बेहद कम उम्र में हत्या, दुष्कर्म, लूट, चोरी और छिनतई के आरोप में बाल सुधार गृह पहुंचे किशोरों में अब बेहतर जीवन जीने की ललक जग रही है. वे जानते हैं कि जितने दिनों तक वे बाल सुधार गृह में हैं, इस दौरान ही अगर वह अपनी पढ़ाई की शुरुआत कर देते हैं तो आगे चलकर उनके लिए जीवन की राह आसान हो जाएगी. बाल बंदियों के लिए सुधार गृह में ही कॉपी, किताब, पेन जैसी पढ़ाई की सामग्रियां उपलब्ध करा दी गई हैं. सभी की पढ़ाई के लिए अलग-अलग वर्ग बांट दिया गया है. बाल बंदियों को उम्र के हिसाब से बांटा गया है और उसी के अनुसार उन्हें शिक्षा भी दी जा रही है.
हर दिन स्कूल के जैसा क्लास: बाल सुधार गृह में तैनात सुरक्षाकर्मी दो-दो घंटे की क्लास हर दिन ले रहे हैं. इसके लिए बकायदा सारा रूटीन स्कूल के जैसा ही बनाया गया है. बाल बंदी तैयार होकर सुधार गृह के बीच वाले हॉल में पहुंचते हैं, जहां पहले प्रार्थना होती है और फिर उसके बाद उनकी क्लास लग जाती है. जिसमें वे सभी तरह के सब्जेक्ट पढ़ते हैं.
कर्नल जेके सिंह ने की शुरुआतः कभी कश्मीर में आतंकियों और झारखंड में नक्सलियों को लोहे के चने चबाने वाले कर्नल जेके सिंह ने अब झारखंड के बाल सुधार गृह में बंद किशोरों के जीवन को सुधारने का जिम्मा उठाया है. झारखंड के 12 बाल सुधार गृहों में से छह की जिम्मेदारी कर्नल जेके सिंह के कंधों पर है.अपनी उस जिम्मेदारी को कर्नल बेहद संजीदगी से निभा रहे हैं. दरअसल, कई बाल कैदियों ने कर्नल जेके सिंह से यह गुहार लगाई कि उन्हें बाल सुधार गृह परिसर के अंदर ही पढ़ाई-लिखाई करायी जाए, ताकि जब वह बाहर निकले तो आगे की पढ़ाई भी कर सकें और अपनी जीविका भी चला सकें. जिसके बाद कर्नल के प्रयास से जेल के अंदर बाल बंदियों की पढ़ाई शुरू करा दी गई है.