रांचीः कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के हक की आवाज राज्य में जोर शोर से उठाई जा रही है. इस आवाज की वजह से केंद्र सरकार ने अनाथ बच्चों की मदद के लिए योजना तैयार की है, लेकिन झारखंड और रांची के अनाथ हुए बच्चे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं. इन बच्चों को तत्काल सहायता चाहिए, जिन्हें स्थानीय लोग मदद पहुंचा रहे हैं.
यह भी पढ़ेंःझारखंड के हर मेडिकल कॉलेज में होगा कोरोना के जीनोम सीक्वेंस साइट, वायरस के वैरियंट की होगी मॉनिटरिंग
राजधानी रांची से 12 किलोमीटर दूर नामकुम प्रखंड के महुआ टोली के नया टोली. इस गांव के 13 साल की अमृता और उसके भाई अभिजीत के सर पर ना पिता का साया है और ना मां के ममता की छांव. मां तीन साल पहले दुनिया छोड़ चली गई, तो मजदूरी कर दो भाई-बहनों का पेट भरने वाला पिता भोला कच्छप ने 30 मई को कोरोना का शिकार होकर दुनिया को अलविदा कह दिया. अब गांव वालों के साथ साथ रिश्तेदारों की मदद के भरोसे अमृता की जीवन काट रही है. स्थिति यह है कि अब धीरे धीरे लोगों का सहयोग मिलना कम हो गया है, तो दूसरे के घर चौका-बर्तन करने लगी.