रांची: मौसम की खराबी की वजह से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का देवघर दौरा काफी इंतजार के बाद रद्द करना पड़ा. दरअसल, सुबह से ही रांची में लगातार बारिश हो रही थी. विजिबिलिटी भी बहुत कम थी. मुख्यमंत्री को दोपहर 12:00 बजे रांची स्थित स्टेट हैंगर से हेलीकॉप्टर के जरिए देवघर के सारठ के लिए प्रस्थान करना था. वह तय समय पर रांची एयरपोर्ट पहुंच भी गए थे. लेकिन खराब मौसम की वजह से हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाया.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को देवघर जिला के सारठ स्थित अलकबारा अस्थाई हेलीपैड में लैंड करना था. इसके बाद दोपहर 1:10 बजे सारठ में 524 करोड़ के सिकटिया मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना का शिलान्यास करना था. इसके लिए सारठ में तैयारी पूरी की जा चुकी थी. वहां वाटरप्रूफ पंडाल बनाया गया था और भारी संख्या में आसपास के लोग और किसान भी मौजूद थे. लेकिन काफी देर तक इंतजार करने के बाद पता चला कि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम खराब मौसम की वजह से रद्द करना पड़ा है. मुख्यमंत्री को सिकटिया में मेगा लिफ्ट सिंचाई योजना के शिलान्यास के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद 4:15 पर रांची के स्टेट हैंगर में लौटना था.
ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक दोपहर 2:00 बजे तक मुख्यमंत्री का इंतजार किया गया उसके बाद वहां मौजूद अधिकारियों ने उनके कार्यक्रम के स्थगन की घोषणा की. अधिकारियों ने बताया कि खराब मौसम के कारण मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर रांची से ही उड़ान नहीं भर पाया. इससे पहले कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर की जा चुकी थी. मंच पर जल संसाधन विभाग के सचिव प्रशांत कुमार, देवघर का डीसी मंजूनाथ भजंत्री, एसपी सुबोध कुमार, जामताड़ा के डीसी फैज अहमद समेत कई विभागीय अधिकारियों के अलावा जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी, साराठ के पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह के अलावा झामुमो के कई नेता मौजूद थे.
खास बात है कि कार्यक्रम स्थगित होने पर सारठ के भाजपा विधायक रणधीर सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अगर इस योजना की आधारशिला रखते तो उन्हें बेहद खुशी होती. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते तो कार्यक्रम का ऑनलाइन भी शिलान्यास कर सकते थे. अगर वह चाहते तो बाई रोड भी आ सकते थे लेकिन उन्होंने जनता के साथ मजाक किया. भाजपा विधायक ने कहा कि इस लिफ्ट इरिगेशन योजना के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी थी. तब जाकर इसकी स्वीकृति मिली थी. उन्होंने कहा कि उनकी पहल पर भारत सरकार की तरफ से इस योजना के लिए पैसा दिया गया था लेकिन हेमंत सरकार इसे झामुमो का सम्मेलन साबित करने की तैयारी कर रही थी. कहा कि उनकी अनुशंसा पर जब इस योजना का डीपीआर बना तो सारठ के 27 पंचायत शामिल थे. लेकिन हेमंत सरकार ने सारठ और पालोजोरी के पंचायतों को काटकर दूसरे विधानसभा को जोड़ दिया और सत्तापक्ष के विधायक और मंत्री को खुश करने की कोशिश की. अब इस योजना में सारठ के सिर्फ 6 पंचायतों को ही जोड़ा गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड की हेमंत सरकार ने जनता की गाढ़ी कमाई को कार्यक्रम के नाम पर बर्बाद किया.