रांचीः झारखंड के सीनियर आईएएस अधिकारी विनय चौबे छत्तीसगढ़ ईडी के सामने शनिवार को अपना बयान दर्ज करवाया. छतीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी ने झारखंड के उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे और बेवरेज कॉरपोरेशन के एमडी को समन किया था. समन के बाद विनय चौबे शनिवार को अपना बयान दर्ज करवाया.
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विनय चौबे रख रहे अपना पक्षः ईडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शनिवार को विनय चौबे रायपुर पहुंच कर ईडी के जोनल ऑफिस में छतीसगढ़ बेवरेज कॉरपोरेशन के साथ हुए समझौते समेत अन्य पहलुओं पर अपनी बात को रखा. झारखंड में साल 2022 में शराब नीति बनाने के लिए छतीसगढ़ बेवरेज कॉरपोरेशन के साथ झारखंड सरकार ने समझौता किया था. जबकि शराब घोटाले मामले में छतीसगढ़ बेवरेज कॉरपोरेशन के एमडी समेत अन्य के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की थी. ऐसे में ईडी यह लिंक तलाश रही है कि झारखंड में शराब नीति बनाने और कंपनियों के ठेके आवंटन में छतीसगढ़ बेवरेज कॉरपोरेशन के एमडी और शराब कारोबारियों की भूमिका क्या रही थी.
झारखंड ने अपनायी थी छत्तीसगढ़ की शराब नीतिः झारखंड की नई शराब नीति के लिए छत्तीसगढ़ मॉडल को अपनाते हुए सीएसएमसीएल को परामर्श नियुक्त किया गया था. इसके लिए झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड ने सीएसएमसीएल के साथ करार किया था. छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को लेकर ईडी ने सीएसएमसीएल के एमडी समेत कई अन्य लोगों के यहां छापेमारी की थी इसी दौरान आरोपियों का झारखंड कनेक्शन सामने आया था.
झारखंड में नहीं चली छत्तीसगढ़ की शराब नीतिः झारखंड सरकार ने शराब के कारोबार में छत्तीसगढ़ सरकार को हो रहे फायदे को देखते हुए ही पिछले साल सीएसएमसीएल को अपना कंसलटेंट बनाया था. झारखंड सरकार ने शराब की खुदरा बिक्री अपने हाथ में लेते हुए प्लेसमेंट एजेंसियों को दुकान चलाने का जिम्मा सौंपा था. झारखंड में ये काम छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के तत्कालीन एमडी अरुणपति त्रिपाठी और उनके पार्टनर सिद्धार्थ सिंघानिया की देखरेख में चल रहा था. लेकिन इस सिस्टम के जरिए कारोबार करने की वजह से झारखंड सरकार को भारी राजस्व घाटा हुआ था.