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Businessman Angry: कृषि बाजार शुल्क को लेकर गजट प्रकाशित, चेंबर ऑफ कॉमर्स ने जताई नाराजगी

कृषि बाजार शुल्क को लेकर सरकार ने गजट प्रकाशित कर दिया है. जिसके बाद से व्यवसायियों में नाराजगी है. हालांकि उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनसे किया वादा निभाएगी.

Chamber of Commerce expressed resentment over ongoing gazette over agricultural market fees
Chamber of Commerce expressed resentment over ongoing gazette over agricultural market fees

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Published : Feb 21, 2023, 8:05 PM IST

Updated : Feb 21, 2023, 8:42 PM IST

आदित्य मलहोत्रा, उपाध्यक्ष, झा चेंबर ऑफ कॉमर्स

रांचीः झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन अधिनियम 2022 को लेकर उठा विवाद शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. व्यवसायियों के हड़ताल स्थगित होते ही राज्य सरकार के द्वारा सोमवार को इस अधिनियम से संबंधित गजट प्रकाशित किया गया. लेकिन इसके प्रकाशित होते ही एक बार फिर विरोध के स्वर उठने लगे हैं.

ये भी पढ़ेंः Strike Over: कृषि बाजार शुल्क के खिलाफ व्यवसायियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल खत्म, झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने की घोषणा

झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि इस बिल को वापस या निरस्त होने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. यदि सरकार ने वादाखिलाफी की तो चेंबर ऑफ कॉमर्स चुप नहीं बैठेगा. पहले से भी ज्यादा उग्र आंदोलन कर सरकार को इस नियम को वापस लेने के लिए बाध्य कर देगा. दरअसल विधि विभाग के द्वारा गजट प्रकाशित किए जाने के बाद झारखंड के व्यवसायी ठगा महसूस कर रहे हैं.

झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा ने कहा है कि मुझे पूरा विश्वास है कि जिस तरह से वार्ता पिछले दिनों राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ कृषि मंत्री की मौजूदगी में हुई थी. सरकार के द्वारा जो भरोसा व्यवसायियों को दिया गया था, उसके अनुरूप सरकार कदम उठाएगी. मगर गजट जारी होने से कहीं ना कहीं व्यवसायियों के मन में आशंका उत्पन्न होने लगी है. हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों ने भरोसा दिया है कि गजट की तैयारी पहले से कर ली गई थी, इस वजह से यह हुआ है. आने वाले समय में व्यवसायियों के हितों का जरूर सरकार ध्यान रखेगी.

2015 से था बंद,अब लगेगा बाजार शुल्कःझारखंड में 2015 से बाजार शुल्क बंद था. राज्य सरकार के द्वारा गजट प्रकाशन के बाद अब बाजार समिति के माध्यम से होने वाले कारोबार में बाजार शुल्क लगेग. इस शुल्क की वसूली बाजार समिति करेगी. जिसमें नष्ट होने वाले सामानों पर एक और नहीं नष्ट होने वाले सामानों पर दो फीसदी तक का टैक्स लगेगा. इसके अलावा बाजार समिति में इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्लेटफार्म में बाजार शुल्क नहीं लगेगा.

गौरतलब है कि 2015 में तत्कालीन रघुवर दास की सरकार ने बाजार समिति के माध्यम से होने वाले कारोबार से बाजार शुल्क लेना बंद कर दिया था. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी नई सरकार ने नए सिरे से विधेयक लाकर इसे लागू कर दिया है. जिसके विरोध में खाद्यान्न व्यापारी पिछले दिनों अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे. राज्य सरकार के साथ वार्ता के बाद झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स ने अनिश्चितकालीन हड़ताल बीते शनिवार को देर शाम स्थगित करने का निर्णय लिया था.

Last Updated : Feb 21, 2023, 8:42 PM IST

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