रांची:झारखंड में कृषि शुल्क विधेयक का विरोध तेज हो गया है. राज्य के विभिन्न व्यापारिक संगठनों के विरोध के बीच चैंबर ऑफ कॉमर्स का एक शिष्टमंडल अध्यक्ष किशोर मंत्री के नेतृत्व में शनिवार को राज्यपाल रमेश बैस से मिला. कृषि शुल्क विधेयक की अव्यवहारिकताओं का उल्लेख करते हुए शिष्टमंडल द्वारा राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा गया. जिसमें विस्तार से सारी चीजें बताई गई कि किस प्रकार विधेयक के प्रभावी होने से राज्य का व्यापार और किसान प्रभावित होंगे. चैंबर ऑफ कॉमर्स ने राज्यपाल से इस पर पहल करने का आग्रह किया है.
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कृषि शुल्क को बताया डबल टैक्सेशनः इस दौरान चैंबर ऑफ कॉमर्स के शिष्टमंडल ने बताया कि किस प्रकार इसकी अव्यवहारिकताओं को देखते हुए वर्ष 2015 में शुल्क को शून्य कर दिया गया था जो झारखंड के किसानों और व्यापारियों के हित में रहा. इस विधेयक के माध्यम से शुल्क की वापसी से पुनः अनियमितताएं बढेंगी और पूर्व की दिक्कतें पुनः वापस आ जाएंगी. प्रतिनिधिमंडल के द्वारा यह भी कहा गया कि झारखंड में अधिकांशतः आयातित वस्तुओं का ही व्यापार होता है. ऐसी वस्तुओं पर कृषि शुल्क लगाए जाने से यह किसी विपणन व्यवस्था की फीस न होकर सीधा-सीधा एक टैक्स हो जाएगा. जो जीएसटी के अतिरिक्त डबल टैक्सेशन होगा.
कृषि शुल्क वसूले जाने से बढ़ेगी महंगाईः शिष्टमंडल ने बताया कि अन्य राज्य से आयातित वस्तुओं पर अधिकतम स्लैब में कृषि शुल्क लगाया जा रहा और बाजार समिति में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है. सदस्यों ने कहा कि अन्य राज्य से आयातित वस्तुओं पर अधिकतम स्लैब में कृषि शुल्क लगाए जाने से महंगाई भी बढ़ जाएगी. राज्यपाल से चैंबर ने यह आग्रह किया कि इस विधेयक पर पुर्नविचार करते हुए राज्य के किसानों और व्यवसायियों के हित में इस विधेयक को पूर्णरूप से समाप्त करने की पहल करें.
राज्यपाल ने समुचित कदम उठाने का दिया आश्वासनः राज्यपाल रमेश बैश ने प्रतिनिधिमंडल की सारी बातों को ध्यानपूर्वक सुनने के बाद समुचित कदम उठाने का आश्वासन दिया है. राज्यपाल से मिलने पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन, पूर्व अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा, रांची चैंबर पंडरा के अध्यक्ष संजय माहुरी शामिल थे.
विवादों में रहा है कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022:झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 विवादों में रहा है. व्यापारी वर्ग लगातार इसके विरोध में शुरू से अभियान चला रहे हैं. राज्यपाल रमेश बैस ने शीतकालीन सत्र से पहले झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में बने विधेयक की कॉपी में अंतर पाते हुए वापस कर दिया था.विधानसभा से पारित इस विधेयक के कानून बनने से कृषि उपज पर दो फीसदी कृषि बाजार समिति टैक्स लगना है. बजट सत्र में सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने के बाद मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा था. राज्यपाल की आपत्ति के बाद सरकार ने फिर से संशोधन के पश्चात शीतकालीन सत्र में पास कराकर राजभवन को मंजूरी के लिए भेजा है.