झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

अस्तित्व और चुनाव चिन्ह बचाने की कोशिश में ये पार्टियां, महागठबंधन में रहना मजबूरी!

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद महागठबंधन के घटक दल अपनी पहचान बचाने को लेकर चिंतित नजर आ रहे है. राज्य में 4 राज्य स्तरीय पार्टियां हैं, जो दूसरे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में इन दलों के नेताओं के पास अपनी साख बचाने की चुनौती होगी.

By

Published : Jul 12, 2019, 2:43 PM IST

बंधू तिर्की, महासचिव, झाविमो

रांचीः लोकसभा चुनावों के बाद प्रदेश के कुछ राजनीतिक दल अब अपना अस्तित्व बचाने की संकट से जूझ रहे हैं. विपक्षी दलों का महागठबंधन में रहना और उसकी छतरी तले चुनाव लड़ना एक तरह से उनके लिए मजबूरी सी बन गई है. दलों की जद्दोजहद अपना अस्तित्व बचाने से ज्यादा अपना चुनाव चिन्ह बचाने के लिए है.

देखें पूरी खबर

चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार प्रदेश में 4 राजनीतिक दलों को राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त है. उनमें आजसू पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल की गिनती होती है. मौजूदा राजनीति के इक्वेशन को देखें, तो आजसू पार्टी एनडीए फोल्डर में है. एक तरफ जहां आजसू पार्टी के 4 विधायक हैं. वहीं, दूसरी तरफ लोकसभा में पार्टी का एक सांसद भी है. वहीं, अन्य 3 राज्यस्तरीय राजनीतिक दल विपक्षी खेमे में हैं.

उनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के 18 विधायक झारखंड विधानसभा में हैं. वहीं, दूसरी तरफ झारखंड विकास मोर्चा और राजद अपनी पहचान को लेकर संजीदा हैं. झारखंड विकास मोर्चा के दो विधायक फिलहाल विधानसभा में हैं. वहीं, राजद का खाता भी पिछले विधानसभा चुनाव में नहीं खुला. महागठबंधन के खेमे में फिलहाल झामुमो, कांग्रेस, झाविमो, राजद, मासस समेत लेफ्ट के दल माने जा रहे हैं. ऐसे में लेफ्ट समेत झाविमो और राजद के लिए यह विधानसभा चुनाव अपना चुनाव चिन्ह बचाए रखने के लिए लड़ना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.

राज्यस्तरीय दल की मान्यता बचाए रखने के लिए निम्न शर्त हैंः-

  • 3 फीसदी या कम से कम 3 विधायक विधानसभा में होने चाहिए.
  • विधानसभा चुनाव में कुल पड़े मत में 6 फीसदी वोट की हिस्सेदारी होनी चाहिए.

ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में झाविमो और राजद को अपनी शाख बचाए रखने के लिए इस न्यूनतम अहर्ता को हासिल करना जरूरी होगा. ऐसा माना जा रहा है कि इसी वजह से दोनों दल महागठबंधन की छतरी से बाहर नहीं आना चाहते हैं.

क्या कहते हैं राजद और झाविमो के नेता

मामले में राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय सिंह ने कहा कि महागठबंधन की बैठक में यह तय हुआ है कि आगामी विधानसभा चुनाव झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. लेफ्ट के दल भी महागठबंधन की छतरी के नीचे आएंगे. पहली बैठक में यह तय हुआ कि सीटिंग सीट उसी दल को जाएंगी. वहीं, अगली बैठक में यह तय होगा कि जो दल जिन विधानसभा इलाकों में दूसरे स्थान पर रहे उन्हें वहां हिस्सेदारी मिलेगी. वैसे राजद 6 जगहों पर दूसरे स्थान पर रहा है. उन्होंने कहा कि इस बात को सर्वसम्मति से बैठकर तय कर लिया जाएगा.

ये भी पढ़ें-लॉटरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा, सैकड़ों लोगों से कर चुके हैं चूना

वहीं, झाविमो महासचिव बंधू तिर्की कहते हैं कि उनकी पार्टी के लिए अस्तित्व बचाने जैसी कोई बात नहीं है. महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ना राज्यहित में जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों को मौजूदा सरकार ठग रही है. यही वजह है कि महागठबंधन एकजुट होकर चुनाव लड़ेगा.

ABOUT THE AUTHOR

...view details