रांचीः लोकसभा चुनावों के बाद प्रदेश के कुछ राजनीतिक दल अब अपना अस्तित्व बचाने की संकट से जूझ रहे हैं. विपक्षी दलों का महागठबंधन में रहना और उसकी छतरी तले चुनाव लड़ना एक तरह से उनके लिए मजबूरी सी बन गई है. दलों की जद्दोजहद अपना अस्तित्व बचाने से ज्यादा अपना चुनाव चिन्ह बचाने के लिए है.
चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार प्रदेश में 4 राजनीतिक दलों को राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त है. उनमें आजसू पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल की गिनती होती है. मौजूदा राजनीति के इक्वेशन को देखें, तो आजसू पार्टी एनडीए फोल्डर में है. एक तरफ जहां आजसू पार्टी के 4 विधायक हैं. वहीं, दूसरी तरफ लोकसभा में पार्टी का एक सांसद भी है. वहीं, अन्य 3 राज्यस्तरीय राजनीतिक दल विपक्षी खेमे में हैं.
उनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के 18 विधायक झारखंड विधानसभा में हैं. वहीं, दूसरी तरफ झारखंड विकास मोर्चा और राजद अपनी पहचान को लेकर संजीदा हैं. झारखंड विकास मोर्चा के दो विधायक फिलहाल विधानसभा में हैं. वहीं, राजद का खाता भी पिछले विधानसभा चुनाव में नहीं खुला. महागठबंधन के खेमे में फिलहाल झामुमो, कांग्रेस, झाविमो, राजद, मासस समेत लेफ्ट के दल माने जा रहे हैं. ऐसे में लेफ्ट समेत झाविमो और राजद के लिए यह विधानसभा चुनाव अपना चुनाव चिन्ह बचाए रखने के लिए लड़ना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है.
राज्यस्तरीय दल की मान्यता बचाए रखने के लिए निम्न शर्त हैंः-
- 3 फीसदी या कम से कम 3 विधायक विधानसभा में होने चाहिए.
- विधानसभा चुनाव में कुल पड़े मत में 6 फीसदी वोट की हिस्सेदारी होनी चाहिए.