रांचीः अनुसूचित जाति के विकास के लिए कई राज्यों में अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया गया. झारखंड में भी अनुसूचित जाति के लोगों के समुचित विकास के लिए 2017 में आयोग का गठन हुआ. जिसके पहले अध्यक्ष शिवधारी राम को बनाया गया. लेकिन अध्यक्ष के चयन के बाद भी अभी तक राज्य का अनुसूचित जाति आयोग का पूर्णरूपेन गठन नहीं हो पाया. क्योंकि लगभग 3 साल बीत जाने के बाद भी ना तो अन्य सदस्यों का चयन हुआ ना ही उपाध्यक्ष का चयन हो पाया है. जिस वजह से राज्य में अनुसूचित जाति वर्ग को समय पर सामाजिक न्याय नहीं मिल पा रहा है.
अध्यक्ष शिवधारी बताते हैं कि सरकार की उदासीनता की वजह से ना तो वह ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर पा रहे हैं ना ही अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र में जाकर उनकी समस्याओं को सुन पा रहे हैं. ईटीवी की टीम ने जब इसका कारण पूछा तो उन्होंने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि कई बार अनुसूचित जाति के समाज के लोगों की समस्या जानने के लिए सुदूर और ग्रामीण इलाकों में जाना पड़ता है लेकिन साथ में सुरक्षाकर्मी नहीं रहने के कारण वहां जाना संभव नहीं हो पा रहा है.
सुरक्षा देने से डीजीपी का इनकार
सुरक्षा के लिए आयोग की तरफ से जब जवान की मांग की गई झारखंड के डीजीपी एमबी राव ने साफ इनकार कर दिया. जबकि रघुवर दास के शासनकाल में आयोग के अध्यक्ष की सुरक्षा में झारखंड पुलिस के दो जवान हुआ करते थे.
वहीं आयोग के अध्यक्ष शिवधारी राम ने अपनी अन्य समस्या बताते हुए कहा कि जिस उद्देश्य से अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया गया था, वह उद्देश्य वर्तमान सरकार में पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि आयोग के क्रियान्वयन एवं अनुसूचित जाति की समस्या के समाधान के लिए सेंक्सन की गई धन राशि का भी बंदरबांट हो रहा है. लेकिन इसकी सुध लेने वाले राज्य सरकार के अधिकारी चुप बैठे खड़े हैं. सरकारी अफसर आयोग की बात सुनने को तैयार नहीं है. कई एनजीओ आयोग के पैसे का बंदरबांट कर लूट मचाई हुई है. वहीं उन्होंने बताया कि कई बार अनुसूचित समाज के लोगों की समस्या आयोग में आती है लेकिन पूरा सदस्य नहीं होने के कारण संवैधानिक और कानूनी रूप से फैसला नहीं हो पाता है. जिससे एससी समाज का विवाद नहीं सुलझ पा रहा है.