रांचीः पलामू जिला के बकोरिया में फर्जी मुठभेड़ की जांच कर रही सीबीआई अब झारखंड के पूर्व डीजीपी डीके पांडेय का बयान दर्ज करेगी. डीके पांडेय के डीजीपी रहते हुए 8 जून 2015 को बकोरिया मुठभेड़ हुआ था, जिसमें ईनामी माओवादी डॉ. अनुराग सहित 12 लोग मारे गए थे. हालांकि सीबीआई की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि मारे गए लोगों में सिर्फ तीन लोग माओवादी थे.
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पांडेय पर सीआईडी के तत्कालीन एडीजी राव ने उठाए थे सवाल
सीबीआई से पहले सीआईडी बकोरिया मुठभेड़ मामले की जांच कर रही थी. दिसंबर 2019 में सीआईडी से एक माह के कार्यकाल के बाद हटाए गए तत्कालीन एडीजी एमवी राव ने डीके पांडेय पर सनसनीखेज आरोप लगाए थे. एमवी राव का आरोप था कि डीके पांडेय ने जांच की रफ्तार सुस्त रखने का दबाव डाला था. इस आरोप के बाद एडीजी एमवी राव को सीआईडी से हटवा दिया गया. झारखंड हाई कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान इस पहलू को ध्यान में रखते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया था. हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई बकोरिया कांड की जांच कर रही है.
कई आईपीएस अधिकारियों का दर्ज हो चुका है बयान
सीबीआई अब तक इस मामले में तत्कालीन पलामू डीआईजी हेमंत टोप्पो, पलामू के तत्कालीन एसपी और वर्तमान में बोकारो डीआईजी कन्हैया मयूर पटेल, लातेहार के तत्कालीन एसपी और वर्तमान में चाईबासा एसपी अजय लिंडा, सीआईडी के अनुसंधानक रहे डीआईजी सुनील भास्कर, सतबरवा के तत्कालीन ओपी प्रभारी मो. रूस्तम, पलामू के तत्कालीन सदर थानेदार हरीश पाठक सहित कई अफसरों का बयान सीबीआई ने दर्ज किया है. इसके साथ ही बकोरिया मुठभेड़ मामले में सीआरपीएफ के 300 से अधिक जवानों और अफसरों का बयान भी दर्ज किया जा चुका है.