रांची: हजारीबाग के चर्चित महेश्वरी परिवार की सामूहिक मौत मामले की गुत्थी को सुलझाने की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी गई है. झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने जांच का आदेश दिया है. सीआईडी की रिपोर्ट को नरेश के भाई राजेश महेश्वरी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उन्होंने सीआईडी की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए सीबीआई से पूरे मामले की जांच का आग्रह किया था. उनकी ओर से अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने पक्ष रखा.
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क्या हुआ हाईकोर्ट में:अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद माहेश्वरी परिवार के राजेश महेश्वरी द्वारा की गई सीबीआई की मांग को लेकर दायर याचिका को एलॉव कर लिया है. इसका मतलब है कि याचिका में जो सीबीआई जांच की जो मांग की गई है उसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है. साथ ही अदालत ने इस मामले की सीआईडी जांच को प्रथम दृष्या उचित नहीं मानते हुए निरस्त कर दिया है और मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यह मामला आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का है. सीआईडी ने जो जांच किया है, वह सही नहीं है इसलिए सीआईडी जांच को निरस्त कर मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया जाए.
दरअसल, 14 जुलाई 2018 को हजारीबाग के खजांची तालाब के पास शुभम अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 303 से महेश्वरी परिवार के छह सदस्यों का शव बरामद हुआ था. इसकी जांच सीआईडी ने की थी. सीआईडी ने मई 2023 में दायर चार्जशीट में इस बात का जिक्र किया था कि ड्राइ फ्रूट व्यवसायी नरेश महेश्वरी ने ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी. घटना के दिन घर के मुखिया महावीर अग्रवाल का शव बेडरूप में पंखे से लटका मिला था. उनके पुत्र नरेश अग्रवाल का शव अपार्टमेंट का नीचे मिला था. नरेश की मां किरण अग्रवाल का गला कटा शव बिस्तर पर पड़ा मिला था. नरेश की पत्नी प्रीति अग्रवाल और पुत्र अमन का शव पंखे से झूलता बरामद हुआ था. जबकि नरेश की बेटी आन्वी का गला कटा शव सोफा पर पड़ा मिला था.
यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया था. काफी हंगामा होने के बाद तत्कालीन रघुवर सरकार ने सीआईडी को जांच का जिम्मा सौंपा था. सीआईडी का दावा था कि महेश्वरी परिवार कर्ज के बोझ में दबा था. इसी वजह से इस घटना को अंजाम दिया गया. तब सीआईडी ने सीन को रिक्रिएट किया था. इस जांच का नेतृत्व डीएसपी तौकीर आलम के नेतृत्व में हुआ था.