रांचीः 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाले मामले में शुक्रवार को भी सीबीआई की छापेमारी जारी है. मोरहाबादी स्थित एनजीओसी (National Games Organizing Committee) कार्यालय में सीबीआई छापेमारी कर रही है. सीबीआई की टीम ने गुरुवार को भी यहां छापेमारी की थी. सीबीआई छापेमारी कर महत्वपूर्ण कागजात व खेल घोटाले से जुड़े दस्तावेज खंगाल रही है.
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ताला तोड़ घुसी थी सीबीआईः इससे पहले गुरुवार को राष्ट्रीय खेल घोटाले में नेशनल गेम्स आर्गेनाइजिंग कमेटी (एनजीओसी) के कार्यालय में भी सीबीआई ने दबिश दी थी. सीबीआई ने छह साल से बंद पड़े एनजीओसी के मोरहाबादी स्थित दफ्तर का ताला तोड़ा. इसके बाद ईडी ने साल 2008 के बाद हुए विभन्न टेंडर व खरीद से जुड़े कागजात जब्त किए थे. गुरुवार को सीबीआई के अधिकारी तकरीबन चार घंटे तक एनजीओसी के कार्यालय में रहे. वहीं शुक्रवार को भी सीबीआई की टीम एनजीओसी के दफ्तर पहुंचकर मामले की तफ्तीश में जुटी हुई है. इसी मामले को लेकर तत्कालीन खेल मंत्री कांग्रेस नेता बंधु तिर्की समेत 13 लोगों के 16 ठिकानों पर सीबीआई ने गुरुवार को छापेमारी की है. यह घोटाला 28.34 करोड़ का है.
सीबीआई ने एनजीओसी दफ्तर का ताला तोड़ा
क्या है बंधु तिर्की पर आरोपः पूर्व खेल मंत्री व झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की पर आरोप है कि उन्होंने धनबाद में दो स्क्वैश कोर्ट के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की. स्क्वैश कोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी मुंबई की एक कंपनी जाइरेक्स इंटरप्राइजेज को दी गयी थी. कंपनी ने 1 करोड़ 44 लाख 32 हजार 850 रुपये का एस्टीमेट दिया था. इस प्रस्ताव को आयोजन समिति के सचिव एसएम हाशमी, तत्कालीन खेल निदेशक और विभागीय सचिव की अनुशंसा के बाद फाइल तत्कालीन विभागीय मंत्री (खेल मंत्री) बंधु तिर्की के पास भेजी गयी थी.
जिस पर बंधु तिर्की ने नीतिगत निर्णय लेते हुए 20 अक्टूबर 2008 को इसे अनुमोदित कर दिया. इसमें कंपनी को अग्रिम 50 लाख रुपये दिए गए थे लेकिन बाद में बिना स्वीकृति के भुगतान के कारण वित्तीय अनियमितता की पुष्टि हुई थी. इस मामले में एसीबी ने बंधु तिर्की के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था, इसके बाद उन्हें जेल भी भेजा गया. जिसके बाद से वो इस मामले में जमानत पर हैं.
झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर इस मामले की सीबीआई जांच की जा रही है. सीबीआई ने 34वें राष्ट्रीय खेल के कार्यकारी अध्यक्ष आरके आनंद, महासचिव एसएस हाशमी, कोषाध्यक्ष मधुकांत पाठक और तत्कालीन खेल निदेशक पीसी मिश्रा को इस मामले में नामजद अभियुक्त बनाया है.