रांची: कांके डैम को अतिक्रमण मुक्त बनाने का अभियान जिला प्रशासन ने शुरू कर दिया है. चार मजिस्ट्रेट और लगभग 100 पुलिस जवानों के साथ अतिक्रमण मुक्त करने को लेकर नवा सोसो और हेसल में अतिक्रमण मुक्त अभियान चलाया जा रहा है. गोंडा डैम को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए दायर पीआईएल किया गया था.
कांके डैम को अतिक्रमण मुक्त बनाने का अभियान शुरू, 53 घरों पर चला प्रशासन का बुलडोजर - कांके डैम अतिक्रमण खबर
रांची में कांके डैम के अतिक्रमणकरियों पर प्रशासन का बुलडोजर चल रहा है. इसके तहत 53 अतिक्रमणकरियों के घरों को ध्वस्त किया गया है.
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कांके डैम के अतिक्रमणकरियों पर चला प्रशासन का बुलडोजर
कांके डैम की जमीन का अतिक्रमण करने वाले 97 अतिक्रमणकारियों को अतिक्रमण हटाने की मोहलत दी गई थी. बावजूद इसके लोगों ने अपने घर को खाली नहीं किया. हेहल सीओ दिलीप कुमार, रातू सीओ, सदर अनुमंडल मजिस्ट्रेट राकेश रंजन और सुखदेव नगर थाना प्रभारी ममता कुमारी के मौजूदगी में हेहल अंचल के सरोवर नगर के 53 घरों पर आज प्रशासन ने बुलडोजर चलाया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई. सरोवर नगर के बाद प्रशासन की टीम नावासोसो और कठरगोंदा में कांके डैम की अतिक्रमण की गई जमीन को खाली कराएगी.
53 घरों पर चला आज प्रशासन का बुलडोजर
हेहल सीओ दिलीप कुमार ने कहा कि कांके डैम के अतिक्रमण को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल है. उसी के आलोक में 1 साल पहले जमीन की नापी कराई गई थी, कांके डैम के अधिग्रहण क्षेत्र का जिन्होंने अतिक्रमण किया है वैसे घरों को चिन्हित कर नोटिस दिया गया था. नोटिस के बाद भी जिन्होंने अपने घर को खाली नहीं किया है उनके घरों को आज बल पूर्वक खाली कराया जा रहा है. कांके डैम के जमीन का 97 लोगों ने अतिक्रमण किया है. अतिक्रमण अभियान के पहले दिन आज 53 घरों को खाली कराया जा रहा है.
रिक्शा चलाकर खरीदा था 2 कट्ठा जमीन
सरोवर नगर की रहने वाली सारो देवी ने कहा कि 15 साल पहले उसके पति ने रिक्शा चलाकर एक-एक पैसा जुटाया था. उसी पैसे से 2 कट्ठा जमीन प्रेम मुंडा से 80 हजार रुपये प्रति कट्ठा के दर से खरीदा था. आज प्रशासन की तरफ से घर तोड़ा जा रहा है. अब समझ में नहीं आ रहा है कि पूरे परिवार को लेकर इस ठंड के मौसम में कैसे रहेंगे. हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन जागी है. इससे पहले सैकड़ों की संख्या में लोग गोंदा डैम पर अतिक्रमण कर घर बनाकर रह रहे थे, लेकिन प्रशासन ने यहां के लोगों के लिए विस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं की है.
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