रांची: झारखंड पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के दावों के विपरीत झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में एक बार फिर से अफीम की फसल लहलहा रही है. अफीम के तस्कर राजधानी में ही बड़े पैमाने पर अफीम की खेती करवाने में कामयाब हैं. रांची के नामकुम, दशम, बुंडू और तमाड़ के घने जंगलों के बीच लगाई गई अफीम की फसल में फूल भी निकल आए हैं. हर बार की तरह पुलिस अब उन अफीम के फसलों को नष्ट करने में लगी हुई है. पुलिस ने बुधवार को नामकुम में लगे अफीम की फसल को पूरी तरह नष्ट कर दिया.
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कई एकड़ में फैली है अवैध खेती
खेती नामकुम थाना क्षेत्र में पड़ने वाले सिंगरसराई में की गई है. पुलिस के दावे के विपरीत यहां कई एकड़ में अफीम की फसल उगाई गई. अब पुलिस इस फसल को नष्ट करने पहुंची है, क्योंकि उन्हें फसल लगाने के समय इसकी जानकारी नहीं मिल पाई थी. रांची का नामकुम इलाका अफीम तस्करों के लिए सबसे मुफीद जगह माना जाता है. यहां हर साल एकड़ के एकड़ में अफीम की फसल उगाई जाती है लेकिन इसकी भनक पुलिस को नहीं लग पाती. फसल तैयार होने के बाद पुलिस को जानकारी मिलती है, जिसके बाद फसल को नष्ट किया जाता है. हर साल इसी तरह सप्ताह भर के लिए अभियान चलता है, क्योंकि कई एकड़ में लगी अफीम की फसल एक दिन में नष्ट नहीं हो पाती है. राजधानी के जंगली इलाकों में ही कई एकड़ में अफीम की फसल लगी हुई है. जिसे नष्ट करना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है. फिलहाल पुलिस का अफीम के खिलाफ यह अभियान लगातार जारी रहेगा.
फसल नष्ट करने का नहीं है कोई साधन
पिछले कई सालों से ये कयास लगाया जा रहा था कि कुछ ऐसे कैमिकल झारखंड पुलिस को दिए जाएंगे जिसके डालने के बाद अफीम की फसल अपने आप नष्ट हो जाएगी, लेकिन फिलहाल यह योजना पुलिस की फाइलों में ही सीमित है. पुलिस के पास अफीम की फसल नष्ट करने का एकमात्र तरीका उनके हाथ का डंडा ही है.
अफीम तस्करी के मामले में झारखंड अव्वल
साल 2020 में भी झारखंड के अलग-अलग इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की फसल उगाई गई थी. सीआईडी के आंकड़ों के अनुसार 1838.72 एकड़ में लगी अफीम की फसल नष्ट की गई. इसके बावजूद सबसे ज्यादा अफीम तस्करी के मामले भी झारखंड से ही आए थे.