रांचीःझारखंड में बसों के पहिए पिछले पांच महीने से थमे हुए हैं. कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बसों के परिचालन पर अभी भी संशय बरकरार है, जिसकी वजह से बस संचालकों को टैक्स की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. वहीं, बस ओनर एसोसिएशन कई बार राहत की गुहार भी लगा चुके हैं और लगातार टैक्स माफ किए जाने की मांग कर रहे हैं. इसी को लेकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने झारखंड बस ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह से फोन पर बात की और लॉकडाउन के कारण बस चालकों को हो रही समस्याओं का जाना.
राज्य में चलती है करीब 10 हजार बसें
अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह ने बताया कि झारखंड में करीब 10 हजार बसें चलती हैं, इनमें स्कूल बसें भी शामिल हैं. बसों में सीटिंग क्षमता के हिसाब से त्रैमासिक टैक्स लगता है. एक बस से औसतन 10 से 13 हजार के बीच टैक्स लगता है. समय पर टैक्स नहीं चुकाने पर कुल टैक्स राशि का 200 प्रतिशत जुर्माना देना पड़ता है. अब इससे अनुमान लगा सकते हैं कि बिना बस चलाए ऑपरेटरों को टैक्स जमा करने में किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा होगा. अब सवाल है कि सरकार क्या इस दिशा में कुछ कर रही है?