रांची: हेमंत सरकार 29 दिसंबर को अपने तीसरे कार्यकाल को पूरा कर चौथे साल में प्रवेश कर रही है. तीन सालों में हेमंत सोरेन (Hemant soren) के दावे और वादों में राज्य के विकास को रफ्तार देने की ही बात कही गई. हेमंत सरकार ने अपने वित्तीय साल में जिस बजट को पेश किया उससे उनके विकास की बातों को ही दिशा देने के नजरिए से देखा जाता रहा. लेकिन विपक्ष ने सरकार को जिस मुद्दे पर घेरा वह 2 साल तक हेमंत के लिए जवाब देना आसान था. हालांकि, 2022 में हेमंत सरकार अपने तीसरे साल में सबसे बड़ा बजट लेकर आई और इसी साल मे हेमंत सोरेन के लिए उनके राजनीतिक जीवन का सबसे बड़ा विवाद भी उभर कर आया. तीन साल के इस सफरनामे पर एक रिपोर्टः-
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3 साल का बजट: 29 दिसंबर 2019 के हेमंत सोरेन Hemant soren ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए और 2022 के साल तक में अपने तीन बजट को सरकार ने पेश किया. साल दर साल सरकार के बजट बढ़ता गया और विकास के मुद्दे पर सरकार अपनी बात के भी रखती गई. लेकिन बजट की सरकार के साथ विवाद का भी नाता बड़ा होता गया. हेमंत सोरेन सरकार के तीनों साल के बजट की बात करें तो सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 86, 370 करोड़ का बजट पेश किया. वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए ₹ 91,277 बजट पेश किया और वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए एक लाख एक हजार एक सौ एक करोड़ रुपये बजट पेश किया.
वित्तीय वर्ष 2020-21के लिए 86, 370 करोड़ का बजट पेश किया, बजट की बात करें तो मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना सामान्य क्षेत्र में 25047.43 करोड़ रुपए सामाजिक क्षेत्र के लिए : 32167.58 करोड़ रुपए आर्थिक प्रक्षेत्र के लिए : 25154.99 करोड़ रुपए होंगे खर्च मुख्यमंत्री विशेष छात्रवृति योजना का शुभारंभ 30 करोड़ के बजटीय उपबंध के साथ शुरू करने का फैसला लिया गया था, नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, हो ,संथाली, कुड़ुख, मुंडारी, खड़िया और पंचपड़गानिया जैसी 9 भाषाओं के लिए एक-एक भाषा केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव भी था.
वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट की बात करें तो झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए ₹ 91,277 करोड़ का बजट पेश किया है, बजट पेश करते हुए राज्य में इस वित्तीय वर्ष में विकास दर 9.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है. बजट में ग्रामीण विकास, कृषि एवं मजदूरों के साथ-साथ रोजगार पर फोकस किया गया है.
वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट: हेमंत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए एक लाख एक हजार एक सौ एक करोड़ रुपये बजट पेश किया. इसमें राज्य को अपने कर राजस्व से करीब 24,850 करोड़ तथा गैर कर राजस्व से 13762. 84 करोड़ रुपये, केंद्रीय सहायता से 17,405.74 करोड़ रुपये, केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी के रूप में 27,006.58 करोड़ रुपये, लोक ऋण से करीब 18000 करोड़ रुपये एवं उधार तथा अग्रिम की वसूली से करीब 75 करोड़ 84 लाख रुपये प्राप्त होने की लक्ष्य रखा गया था.
हेमंत सरकार ने अपने तीनो कार्यकाल में बजट के आकार को बड़ा किया. विकास की योजनाओं के गति देने का नारा दिया. लेकिन विपक्ष के विरोध में हेमंत सरकार अपने विकास के काम कम और विवाद के लेकर ज्यादा लड़ती नजर आई. 2019 में हेमंत सोरेन ने कांग्रेस और राजद का गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा और मोदी के लहर और 2 इंजन के नारे को फेल कर भाजपा के गद्दी से हटा दिया. चुनाव वाले नारे में हेमंत भी खूब चले और सरकार भी 3 साल से चल रही है. 2 सालों के कार्यकाल में हेमंत सोरेन विपक्ष के उत्तर देते थे लेकिन 2022 में हेमंत विपक्ष से लड़ते रहे.
2022 में विकास की बात कम विवाद वाली ज्यादा: 2022 में हेमंत सरकार Hemant Government अपने तीसरे कार्यकाल में अपने विकास योजनाओं के लिए कम विवाद के लिए ज्यादा सुर्खियों में रही हालांकि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम और साल के अंत में दूसरी यात्रा करके हेमंत सोरेन ने जनता के बीच अपनी पैठ बैठाने की मजबूत कोशिश की लेकिन विपक्ष जनता के बीच हेमंत सोरेन से उस मुद्दे को लेकर गया जिसमें 2022 में हेमंत सोरेन के राजनीतिक कैरियर पर एक बड़ा धब्बा लगाती है खनन घोटाला मामले में पूजा सिंघल की गिरफ्तारी के बाद इस तरीके के हालात झारखंड की सियासत में बनी वह हेमंत सोरेन के लिए ठीक नहीं कहे जा सकते उसमें भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने यह कह दिया जिस पत्थर लीज का मामला ऑफिस आफ प्रॉफिट के तहत हेमंत सोरेन पर दिखाया जा रहा है वह गलत है झारखंड मुक्ति मोर्चा का विवेक बयान सबको सकते में डाल दिया जिसमें मोर्चा के बड़े नेता ने कहा अगर खदान नहीं लेंगे रोजी-रोटी कहां से चलेगी.
हेमंत सोरेन पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला चल रहा है. राज्य की राजनीति में राज्य पूर्व मुख्यमंत्री भी खूब सुर्खियों में रहा बात यहीं नहीं रुकती चिट्ठी मांगने के लिए हेमंत सोरेन राजभवन तक चले गए निर्वाचन आयोग को भी पत्र लिख दिया और यह विवाद झारखंड की राजनीति में वित्तीय वर्ष 2022-23 के आधा कार्यकाल को नहीं पूरा कर पाने से पहले ही खड़ा हो गया, जो साल के अंत तक बड़े विवाद के मुद्दों के साथ खड़ा है. हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय की नोटिस, हेमंत सोरेन का प्रवर्तन निदेशालय में जाकर जवाब देना, सीएम हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार को भी पूछताछ के लिए बुलाया जाना और पंकज मिश्रा जैसे लोगों के खनन घोटाले में फंसने के बाद झारखंड की सियासत में हेमंत के नाम की किरकिरी विपक्ष का एक बड़ा मुद्दा रहा और अब भी हेमंत सोरेन की सरकार प्रवर्तन निदेशालय की जांच से बाहर नहीं निकल पाई है. इसमें दो राय नहीं कि 3 सालों में हेमंत सोरेन ने सरकार के बजट को बड़ा किया. लेकिन यह भी सही है कि राजनीतिक रूप से विवाद भी साल दर साल बढ़ता गया. बढ़े भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था में मुख्यमंत्री के नाम पर कोई खदान आवंटित होती है तो सवाल उठ सकता है.
कोलकाता का कैश कांडऔर विधायकों को रायपुर तक ले जाने वाली राजनीति में झारखंड के सियासी गलियारे में बड़े विवाद को ही बताती रही. बहरहाल, हेमंत सरकार Hemant Government अपने कार्यकाल के 3 साल को पूरा कर रहे हैं चौथे साल में उनकी नई शुरुआत हो रही है. इसमें किसानों के लिए बड़ी सौगात देकर हेमंत सोरेन ने एक बार फिर जमीनी राजनीति की तरफ जा रहे हैं. लेकिन देखना यह होगा पहाड़ तोड़कर जिस आरोप को लेकर जमीन तैयार करने पर हेमंत सोरेन उतरे, उस पर बड़े पहाड़ का लक्ष्य कैसे पूरा होगा. आरोप यही है कि पहाड़ों से बहुत कुछ चुरा लिया गया. अब देखने वाली बात होगी कि बाकी चीजें कैसे चलती है. लेकिन यह साफ है कि 3 सालों के कार्यकाल में हेमंत सोरेन अगर बजट को बड़ा किया है तो विवाद भी हेमंत सोरेन के साथ साये की तरह खड़ा रहे हैं.