रांची:एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी की मौत को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और वामपंथी पार्टियां लगातार विरोध जता रही हैं. वामदल के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को राजभवन मार्च किया. सीपीआई(एम) की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने राजभवन मार्च का नेतृत्व किया.
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हेमंत सोरेन पर साधा निशाना
बृंदा करात ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि स्टेन स्वामी के साथ गलत व्यवहार कर उन्हें जान से मारा गया है. इससे साफ प्रतीत होता है कि अपने हक की आवाज उठाने वाले लोगों को केंद्र सरकार प्रताड़ित कर रही है. राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए बृंदा करात ने कहा कि जिस तरह से फादर स्टेन की जेल में हुई मौत की न्यायिक जांच की मांग का विरोध प्रदर्शन को जिला प्रशासन और राज्य सरकार की तरफ से रोका जा रहा है, यह हेमंत सोरेन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है.
विरोध प्रदर्शन कर रहे भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कहा कि फादर स्टेन हमेशा ही दलित पिछड़े की आवाज को बुलंद करते थे. वैसे लोगों को केंद्र सरकार ने अपने सुरक्षा एजेंसी का दुरुपयोग करते हुए फंसाया और साजिश के तहत उनकी हत्या की गई. धरना प्रदर्शन पर बैठे भाकपा के पूर्व सांसद भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार की मोनोपोली को लेकर हम विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने साजिश के तहत स्टेन स्वामी की जेल में हत्या कराई है. इसकी न्यायिक जांच को लेकर आगे भी ऐसे ही विरोध करते रहेंगे. साथ ही उन्होंने स्टेट गवर्नमेंट की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिस तरह से विरोध प्रदर्शन को स्थानीय पुलिस और राज्य सरकार रोक रही है, इसको लेकर सीएम से बात करेंगे.
कोरोना के चलते विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं
बता दें कि कोरोना के मद्देनजर राज्य सरकार ने किसी तरह के विरोध प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी है और भीड़ एकत्र करने पर भी मनाही है. इसके बावजूद वामदलों ने स्टेन स्वामी की मौत को लेकर राजभवन मार्च किया और विरोध प्रदर्शन किया. इस पर बृंदा करात सहित वामदल के सभी नेताओं ने हेमंत सरकार को चेतावनी दी कि विरोध प्रदर्शन को रोकना सही नहीं है.
5 जुलाई को मुंबई में हुआ था निधन
बता दें कि 5 जुलाई को फादर स्टेन स्वामी का मुंबई में निधन हो गया था. तबीयत खराब होने के बाद उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने झारखंड में करीब 30 सालों तक आदिवासियों के हक के लिए लड़ाई लड़ी थी. स्टेन स्वामी लगातार विवादों में रहे और उन पर कई गंभीर आरोप भी थे. उनकी मौत के बाद कई सामाजिक संगठन लगाता केंद्र सरकार पर हमला कर रहे हैं.