रांची:अपनी ही सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से मुखर होकर बोलने वाले झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम मंगलवार को फिर बगावती तेवर में दिखे. विधायक लोबिन हेंब्रम का यह तेवर आनेवाले समय में झामुमो का गढ़ माने जानेवाले संथाल परगना में राजनीतिक विस्फोट लाने वाला है. इसका संकेत स्वयं लोबिन हेंब्रम ने दिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सरकार के कामकाज पर भड़ास निकालते हुए बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि यदि एसपीटी, सीएनटी और पेसा एक्ट को राज्य में प्रभावी नहीं बनाया गया तो इसका खामियाजा झामुमो को भुगतना पड़ेगा.
Jharkhand News: बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने अपनी ही सरकार के कामकाज पर उठाए सवाल, 30 जून को भोगनाडीह में आंदोलन की चेतावनी - आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही
बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने एक बार फिर अपनी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कड़ी चेतावनी दी है. विधायक ने कहा कि यदि एसपीटी-सीएनटी एक्ट और पेसा एक्ट को राज्य में जल्द प्रभावी नहीं बनाया गया तो जेएमएम को इसका खामियाजा भुगतना होगा. उन्होंने कहा कि यदि सरकार इन मुद्दों पर जल्द फैसला नहीं लेती है तो 30 जून को भोगनाडीह में बड़ा राजनीतिक विस्फोट होगा.
30 जून को भोगनाडीह में होगा राजनीतिक विस्फोटः बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि यदि सरकार ने मांगों पर विचार नहीं किया तो 30 जून को क्रांति दिवस के अवसर पर सिदो कान्हू की जन्मस्थली भोगनाडीह में बड़ा राजनीतिक विस्फोट होगा. जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ेगा. विधायक लोबिन हेंब्रम के इस बयान से साफ जाहिर होता है कि 30 जून को झारखंड बचाओ मोर्चा के बैनर तले वे झारखंड मुक्ति मोर्चा से अलग हो सकते हैं. लोबिन हेंब्रम साहिबगंज के बोरियो से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं. जानकारी के मुताबिक लोबिन हेंब्रम के संपर्क में संथाल परगना के झारखंड मुक्ति मोर्चा के कुछ और विधायक हैं जो इस बैनर तले आनेवाले हैं.
गुरुजी के सपनों का नहीं है झारखंडःधुर्वा स्थित अपने सरकारी आवास पर मीडिया कर्मियों से बात करते हुए विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि गुरुजी शिबू सोरेन ने जो सपना झारखंड के लिए देखा था और लंबी लड़ाई लड़ी थी उसे चकनाचूर कर दिया गया है. आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है. ना जाने कितने छवि इसमें शामिल हैं और सरकार मूकदर्शक बनकर देख रही है. जब हम विधानसभा में एसपीटी-सीएनटी और पेसा एक्ट को लागू करने की मांग करते हैं और मीडिया में बयान देते हैं तो हमें बागी कहा जाता है. जिस स्मार्ट सिटी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्मार्ट विलेज बनाने की बात कही थी आज वह कहां चला गया. स्मार्ट सिटी की जमीन आदिवासियों की है और आज उसे देखने वाला कोई नहीं है. राज्य में ना तो नियोजन नीति बनी और ना ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू किया गया. ऐसे में यहां के छात्र सड़कों पर हैं और 10- 11 जून को एक बार फिर झारखंड बंद का ऐलान किया है. छात्रों की मांग जायज है और सरकार को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए.